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***मनकौबला***

***मनकौबला***
______________
ओकरा देखलौ
लागल जे प्रेम भगेल
फेर देखलौ
वाहवाही सन लागल
ओकरा बुझलौ
अगबे दर्द मिलल
सहके प्रयास केलौ
निरासा मात्र पेलौ
लडबाक प्रयास अछि
सब पागल बुझैये
मुदा हम नै हारब
इ दहेज सं
से मनकौबला अछि ।
-------------------
दिनेश रसिया
२०७३/०८/१
लहान 

++गजल++

++गजल++
*********
दुनियाक दसतुर केहन नै पुुछु मित ।
दुनिया मजबुर केहन नै पुछु मित ।

चिलका चिलहौर पाइर कनै चौगमामे
माइ–बाप बेशुर केहन नै पुछु मित ।

सोनक जे खाइन छै, तकरा नै माइन छै,
बेटे तिनुुपुर केहन नै पुछु मित ।

धनक बखारी कि, महल अटारी कि,
घमन्डेमे चुर केहन नै पुछु मित ।

जगक भुँवुँरमे फसल छै रसिया,
लक्ष्य कते दुर केहन नै पुछु मित ।

२०७३/०७/३०
Dinesh Rasya
Lahan

हुनके

हुनके
####
:-दिनेश रसिया
साँझमे आ भोरमे
गामक ओरमे
शरिरक पोरेपोरमे
सुगन्ध अखनो
हुनके अछि
दुनिया संसारमे
माइटक पहारमे
एक आ हजारमे
इजोत अखनो
हुनके अछि
बितल हर बातमे
बलानक कातमे
घरक भातमे
स्वाद अखनो
हुनके अछि
खेतक धानमे
पान आ मखानमे
माइटक भगवानमे
विश्वास अखनो
हुनके अछि
ओ हमर प्राण
सबहक जुवान
हम त नादान
सँस्कृति महान

2073/07/28

सीख रहल छी

Dinesh Rasya
August 24  ·

सीख रहल छी

कोना खडा होइ
कोना बैठी
कोना चली
आ कोना जीन्गी जीबी
सीख रहल छी ।

चीन्ह रहल छी
एक टकीया
दश टकीया
नमरी
पन्सैहिया
के अपन, के आन
चीन्ह रहल छी ।

ब्यतीत करैछी
साँझ, भोर
यौबनक पोरे पोर
कि करिया
किछु गोर
समय अपन जीबनकs
ब्यतीत करै छी
...........
दिनेश रसिया
२०7३,5,8
................

के जितलै ?

के जितलै ?

आइ हम बिगरलौह
कि हमर बिचार बिगरलै
एकटा कंशके मारलेल
सातटा कृष्ण पहिले मरागेलै
अहि कहू के जितलै ?

कंश भेलै
तै कृष्ण भेलै
कृष्ण येलै
तै कंश गेलै
कंश गेलै त गेलै
फेर कृष्ण कत गेलै
जैन भाग्वत गीतासंग
कृष्ण कतौ हरा गेलै
कहू के जितलै ?

एकटा कृष्ण रहै
एकटा कंश रहै
आब त घर–घरमे
कंशक डेरा छै
हर मनमे कंशक
बसेरा छै
आब कतेक कृष्णके
कमी खजलै
एत के जितलै ।

ने कंश जितलै
ने कृष्ण जितलै
समयके गति
समान बितलै
तखन निक
बिचार जितलै ।


दिनेश रसिया
२०७३,५,१०
श्रीकृष्णजन्माष्ठमी लहान ।

****गजल****

****गजल****
खडा होनाइ अपन पैरपर बात इS त निक हइ
सब दिन माइङक काम चलेनाइ इ त भिख हइ।
गिर सS पहिने समहैर जेनाइ बहुत निक बात
गिरके जे समहैर जाइ से त बढका सिख हइ।
डेग डेग पर पाथर छै चलुु कनि बैच कS
इज्जत आगा नहि झुकनाइ इS त बढका सीख हइ।
अपन स्वाभिमान बचाक रखनाइ पहिचान थिक
हिन्दु मुस्ल्मि बीचक बडका रोडा त टीक हइ।
देख दस्तुर दुनियाके आइ परेसान भेल छै रसिया
साँझ सबेरे दिन दुपहरिया सबके लागल दिक हइ ।
दिनेश रसिया
२०७३,५,६
स.चौ.आ.अ.लहान
सुझाबक आश .....

रचना - GeeT

रचना  - GeeT


दुखके ढेकीमें कुटानी करब
चिंताके जत्तामे पिसानी करब
मेहनत करब खुब अपन गाममे
मिथिलेमे जाक मेहमानी करब

खर्रा ढाकील पात खर्रब फुलबारीमे
झिझिया खेलब सलहेशक अगाडीमे
मिलक दीपो जरायब सगें इद दियारीमे
फुट कहियो हेतैनै कखनो  भैयारीमे
अपन पहिचानमे नै कहियो परेशानी करब

माजि झुटका बनायब सोन चौरी चाँचरमे
पानिक फूल मखान सुखायब मायक आँचरमे
सोनसन भोर आन राजा जत हर जोतैय
नजर गुजर भाइग जाइ बौवा आइखक काजरमे
खेल खेलब हम कबडी कबडी खेतमे पहलमानी करब


काम भेटतै खुब गाममे, जौँ सिखब अपन शीप
पानि भरले बासन चाही तेल भरले टीप
अपन दुनु पैर जमाके राखब जौ आङ्गनमे
पिछर हुवे चाहे चाल हुवे होयबनै अहाँ सिलिप ।
मिथिलामे रोजगाडी बढब, नै कखनो बैमानी करब ।

दिनेश रसिया
2073/4/2

गजल

गजल आगामें भीड़ देख लोग नुकाइ छै ।
पैसाके आगा प्रेम नै सुझाइ छै ।

लुच्चाके बातकी विद्वानों छै सनकल
बेरे बखतमे संसार चिन्हाइ छै ।

बेटा मरल त पुतहु बनल बिधबा,
अपनले बुरहोमे बरतोहार खोजाइ छै ।

टाँगल छै नेह सगरो खुटरी देबालमें
खीजे गहूमक सेतुवा पिसाई छै ।

सुचना पठेबाक लेनेछै जे ठेक्का
कहियोकाल ढौवाले ओहो बिकाइ छै ।
दिनेश रसिया 2073/3/30

***गीत****


***गीत****

विधवा कहिकS चुडी लहठी सब तोरलकै आइ
देखकS दुनियाके रीति हमर मोन कनैये भाइ ।

खेल्ते कुइदते नैन्हियेटामे कनिया बनलि
बनैत किशोरी सोनितनोर घुइट-घुइटकS पीबलि
सुखकS अनुभव करैस पहिने माँग उजरलै हाइ
देखकS ................

सीपकS सेनूर जखन उजरलै
पढिया साडीकS कफन चहरलै
सुख सेहेनता हमर सब अछियामे देलकS जराय
देखकS ......

विधिके विधिना, पिया छोडी गेली हमरा
सुरैत देख हमर बिगरै सबहकS जतरा
अपने घरे फेरोसं ओ बना देलकS पराइ
देखक............

छि मिथिलाके बेटी, प्रतिकार किए नै करै छी
दोसरके खुशी जोगब, भैर दुनियासं लडै छी
बिटे नै बचतैत कोपर कतसं लौबे गे माइ
देखक............

विधवा कहिकS चुडी लहठी सब तोरलकै आइ
देखकS दुनियाके रीति हमर मोन कनैये भाइ ।

दिनेश रसिया
२०६३,३,२१
सुझाबक आश रखने छी ।

===गजल===


===गजल===


जिनगीमे सगरो अछि काँट भरल रस्ता ।
परवाह कनिको नइ महंग होय आ सस्ता ।।

अपन सौँसे देवालमे सियाही पोतल छै,
देख हाल दोसरके ठहक्का माइर हस्ता ।।

गिरबा दोसरके खाइध खुनब माहिर छै
कि पता ओकरा आगा जाके अपने खस्ता ।।

बाढीके हिलकोर समैझ हेल गेलै पानिमे,
ढेहमे नइ रुकै पाइर, भभसीमे धस्ता ।।

पिब भेटे माँर नै, घर उपर चार नै
भुजा रोटी छोइर चाही माँछ दारु नस्ता ।।

सुइन बोली ओकर सबके काटैय बिसपिपडी,
बिना मतलबके बात ओ बेर बेर घस्ता ।।

सुइन तामस उठै जोर रसियाके बातपर
भाउ पता चलतै जखन जालमे ओ फस्ता ।

दिनेश रसिया
२०७३,३,३०

****गीत****

****गीत****


बनल एहि दुनियामे आदमी हैवान हो
अपन बेटा जोगाब, लैय हमर प्राण हो

दुधबा पियेलियै हम, जाहि मनुखके
कन्हियो नै बुझै रामा हमर इ दुखके
छुरी रेति रेति करै छै हलाल हो
अपन..........

भेटत भगवान जखन कहबै समधिया
रस्तामे भेटल रहै बुरही बकरिया
कानि कानि कशैत रहै, सुन छै दलान यौ
अपन........

करै छि मिनतिया इ सकल समाज के
माए बेटा एके होइ छै, दुनिया जहान मे
जाइन निमुखा नैह करु अत्याचार यौ
अपन बेटा जोगब नै लियौ केकरो जान यौ ।

दिनेश रसिया
२०७३–३–२३
सुझाब अवस्य देब .

...निरगुन...

...निरगुन...



जाइके छै पियाके महल
मोहके छै बेरीया परल
बिचेमे हंसा हमर भुलायल छौ हो राम ।

जनमक बेरिया हो रामा
पियाक सुधिया विसरलौ
गौवनाके बेरिया याद सतावै हो राम ।हो हो हो

एक त बयस मोर पाञ्चम
रंगल चुनर रंग आठम
ताहि पर रतिया लागै भयावन हो राम । हो हो हो

सासु जी अघोर निन सुतै
ननदी के निनियो ने टुटै
आ पियाके कहरिया आयल दुवारे हो राम । हो हो हो

कोइ हमर गोरबा जे पकडै
कोइ जन्जिर झिन्झिर बीच जकडै
कोइ हमर गर्दैन करै हलाल हो राम ।हो हो  ।हो हो हो

✍दिनेश रसिया
लहान,मिथिला( नेपाल
२०७२–३–२३

#कविता #जीनगीक बाटमे


#कविता#जीनगीक बाटमे


नचबै छै जिनगी,
तैँ हमरो नाचS परतै ।
लहास परल भूँभूँर आइगमे,
अछियामे फेर आँचS पडतै ।।

जीवन कखनो मरुभूमि छै,
कखनो जोतल खेत ।
मरुभूमिमे गाछ लगा,
खेत फेरो गजारS पडतै ।।

जीवनमे मृत्यु सत्य थिक,
ओहमे सत्य बुढापा ।
जिवनक अहि खेलके,
कखनो उसारS पडतै ।।

माइ बाबु वा अर्धाङ्गनी
कि बेटा कि बेटी ।
एक दिन नैया बीच भँवर सS
असगरे गुजारS पडतै ।।

ऐलौ खाली हाथ एत
जायब किछ नै लधने ।
कए किछ निक करम
जीनगी धन्य बनाबS पडतै ।।

#दिनेश रसिया
२०७३,३,२१

===गजल===

===गजल===


हम कटहरके कमरी आ अहाँ कुवा छी ।
जोखबतs अहाँ पसेरी हम लाबादुवा छि ।

जीनगी आइ बाचल यS हमरेसं अहाँक,
हम फेकल केथरी अहाँ सियल नुवा छी ।

फाडी मोन हमर आइ आमिल दS दुधमे,
हम  घोंटल घोर आ आहाँ प्रेमक खुवा छी ।

हमरे सs पुरल सब अहाँ के मनोरथ
अहाँ मोनक मालिक आ हम बिलटुवा छी ।

तैयो अहिक खुशी चाहैयS अखनो 'रसिया'
अहाँ बनियौ हर आ हम ओकर जुवा छि ।

दिनेश रसिया
सरल वार्णिक बहर
२०६३,३,१९

सुझावक लेल सादर आमन्त्रित छी ।

कविता

Dinesh Rasya 
कविता
=====

कहतौ कविता
सुन्तौ कविता
अपन शब्दक जालमे
बुन्तौ कविता

सिङ्गारतौ कविता
विगारतौ कविता
अखारक कादो थालमे
लथारतौ कविता

मारतौ कविता
तारतौ कविता
जीवनके हर क्षणमे
सुधारतौ कविता

पसारतौ कविता
उसारतौ कविता
माइटक थाल जका
खिचारतौ कविता

पढेतौ कविता
लिखेतौ कविता
जीवनक गुणा भाग
सिखेतौ कविता

हसेतौ कविता
कनेतौ कविता
बचपनके सब याद
दिएतौ कविता

हरेतौ कविता
जितेतौ कविता
मरला उपरान्त फेरो
जिएतौ कविता

लडतौ कविता
नैडरतौ कविता
मुस्किल तोहर हमर
हटेतौ कविता

दिनेश रसिया
२०७३ ३ १८

{बस ओहिना}

++++गजल++++

Dinesh Rasya

++++गजल++++


फुल सटल रहैछै काँट लगाके ।
पानि बहबो करैछै बाट लगाके ।

बाँसक पत्ता आ कर्ची जोगाब सs निक,
पुरा बिटेके घेर लियs टाट लगाके ।

इ जिनगीमे राइत भोर हेबे करै अछि,
सब तरहक आनन्द लियs खाट लगाके ।

आनबै तs भोर हेतै  मिथिलोमे मीत,
नबतुरियोके चला दियौ लाट लगाके  ।


देख रिती समाजक मोनमे भोकैए सूल
इज्जत बेच रहल लोक एत हाट लगाके ।

झुठे स्वाङ्ग धेने छी ,खार बना काम के
कारी कम्मर खिचै छी अहाँ घाट लगाके ।

अहाँ कुम्हरा आ चिकनी माइट रसिया
अहाँ बर्तन बना लिया पाट लगके ।

Dinesh Rasiya 2073/3/17

====चान====

+++++कविता ++++
====चान====

चान अधहो निक
चान पुरो निक

चान हमरो निक
चान तोरो निक

चान चाने छियै
चान आने छियै
चान पिरीमे राखल
सब भगवाने छियै
चान घरो कनै
चान बहरो कनै
चान रस्ता ओगरने
चान हरदम कनै
चान माइयो छियै
चान बेटी छियै
चान अर्धाङगनी
चान बहिन छियै
चान जोगब परतै
चान बचब परतै
चान जिनगी हमर
चान हसब परतै
चान हस्तै जखन
चान खिलतै जखन
जग जगमग हेतै
चान बचतै जखन
चान जगमग करै
चान झकझक करै
चान इज्जत बढा
चान चकमक करै
चान धटतै जखन
चान बटतै जखन
जग खन्डहर हेतै
चान मरतै जखन ।
दिनेश रसिया
२०७३,३,१०

++++ गजल++++

     ++++ गजल++++


सबकियो आइ अनचिन्हार लगैय ।
छुछुनैरसन सबहक व्यवहार लगैये ।।

सगरो छिटकल इजोरिया छै दिने देखार
हमरा अपनो घर आब अन्हार लगैये ।।

पानि हाथीले सगरो छै अरिया उछाल
मुदा चिडैले पानिक हाहाकार लगैये ।।

मामा सकुनीके सत्ता घरे–घर छै
करेतोके पिढिया सतकार लगैये ।।

खुशहाली एलैय सभक धरमे,
सब झुठेके एत प्रचार लगैये ।।

आइग लगबो केलै, धर जरबो केलै
फेर बस्ती बसाब सोइच बोखार लगैये ।।

करिया कोटपर रसिया केने छै निलटिनोपाल
तैयो सबटा दाग फेर देखार लगैये ।।

दिनेश रसिया २०७३,३,९

===गजल===


फुलमे सुन्दर जेना बहार छी अहाँ ।
भँवराके निमन सृङगार छी अहाँ ।।

लाल कs आइख गुटरै दुनु चार पs,
पेरबा जोडीके निश्छल प्यार छी अहाँ ।।

रौदीयोमे जे सिहकै पिपर तरमे
मोन सीतल करै जे से ब्यार छी अहाँ ।।

मुस्की चौवनीया छै ओलती ओसारमे
नव कनिया जका दिलदार छी अहाँ ।।

देखी सुरैत अहाँक लिखी दुगो पाँती
प्रेम गजलके एगो आधार छी अहाँ ।।


दिनेश रसिया, २०७३,३,५

.......गजल.....

.......गजल.....
चुल्हीक आँच मे लहैक जाइ छै लोग ।
सही बातक सामने छहैक जाइ छै लोग ।

प्रेमक रसपान करु कतबो मधुशालामे
बात बुझह सs पहिने महैक जाइ छै लोग ।

मोन हर्षित हुवे चाहे हुवे बड दुखी
आवेगमे आइबक बमैक जाइ छै लोग ।

बाट सुखलो रहे आ सहिटो रहे
अन्बुझेमे कहियो गुरैक जाइ छै लोग ।

भले भुखले रही, कनी दुखले सहि
दुख दोसरके देखक सिसैक जाइ छै लोग ।

दिन दानब सनक, मोन रावन सनक
पीडामे देख सीता कुहैक जाइ छै लोग ।

रसन्चौकी लगल छै रसिया दलानपर
बिना मतलबके केम्हरो घुसैक जाइ छै लोग ।
दिनेश रसिया २०७३,३,९

।।गजल।।

।।गजल।।
लगैये हुनका भैर देह आँच ।
सुनाबी जखने बात हम साँच ।।
जँ मिठे मरे त माहुर किए दी
टुटै ये मोन आइ बैन क काँच ।
जीवनके सफरमे छी विद्यार्थी
जीन्गी परिक्षाके दैत रहु जाँच
गरिबीके लात परे ने पेट प
मञ्चक आगा बैठ देखु नै नाँच
कर्म भरोसे बैसल छै रसिया
सुखल आइरमे लगौने छै चाँच
दिनेश रसिया
२०७३–२–३१–२
सुझाबक आश रखने छी

।।गजल।।

।।गजल।।

आहा चलु हमहु आबै छि ।
गाबले गीत फेर गाबै छि ।।

शोर करु कतबो कानमे आहा
अपने धुनमे हम मुस्किाबै छि ।

सुतलके जगाब सम्भव छै
फुटल ढोल किए बजाबै छि ।

फुलक सोभा भग्वानपर निक
गन्हेल लहाश किये सजाबै छि ।

लातक भूत कहीं बातसे मान्लकैये
बीणपर भैँस आँहा नचाबै छि ।

हजारी पन्सैहिया परती परल छै
खोँटा सीक्का अहाँ चलाबै छि ।

देखु घर घरमे सम्शान छै एत
आहाँ मधुशालामे मौज मनाबै छि ।

दिनेश रसिया २०७३ जेष्ठ25

।। गजल ।।

     
आखर आखर जोइर जोइर क बना लिय दु पाति ।
हरियर डाइरपर बैसल सुगा गाबे नित् पराती ।।

सोहर,सम्दाउन, लग्नी झिझिया पसरल कोनेकोन,
अपन संस्कृति जोगाब मिता बाइर लिय एक बाती ।।

निरिह बनल छै समाज एत् दोसरके व्यवहारसं,
छोरु उच निचके भेद, बैन जाउ सब मैथिल जाती ।।

उपर हिमालय, निचा गंगा , कोशी कमला आ बलान
बनु अभियानी अहुँ भद्री, कारिक,लोरिकके भाती ।।

बुद्धि, विवेक, भाषा आ संस्कृति, सभ्यतामे धनिक हम
नबका चदैर पेन्हकs जग्बै खोइल कs पुरणा गाती ।।

सरल वार्णिक बहर २०,

दिनेश रसिया, लहान २०७३,२,१८

।। कजरी ।।




कोयलिया कुहु कुहु गीत सुनाबे
हमरो हिया हुलसाबे ना २
गे बहिना हिया हुलसाबै ना
पपिहरा पिया पिया कहिके जगाबे
हमरो मन तरसाबै ना
कोयलिया ......

एक त राजा बसन्तक मौसम
बहके इ मनमा ना २
दुजे बैरीन पियाके सपनमा २
आगी जरबे पवनमा ना
कोयलिया कुहु......
हमरो ......

दिन भरि काजमे थाकल देहिया
टुटै इ शरीरिया ना  २
रातिक नैना नेह निहारै २
आबै नै निन्दिया ना
कोयलया .....
हमरो ....

ब्यर्थे बितै इ हमरो जीबन
बुझियौ बिवस्ता ना २
अपने जौ परदेश रहब यौ २
कोन काजल देहिया ना
कोयलिया .....
हमरो .....

दिनेश रसिया २०७३,२, १८ लहान

गजल



कनकनीमे ठरल पाइन इन्हेर नै भ जाइ ।
गरिबक घरमे कही कतौ भोर नै भ जाइ ।।

मुह त सिबक रखनैये छै सोसकसब,
सियल मुह फेरसं कही जोर नै भ जाइ ।

एक साँझ भुखले रहै छि मिता अखनो हम,
धियापुताक दशा देख मनकही अघोर नै भ जाइ ।

अपन बात राखैयोके स्वतन्त्रता नै देखै छी,
स्वतन्त्रताले माहुुरसन कही तिलकोर नै भ जाइ ।

ध्यान देबै यौ गौँवासब रसियाके बात पर,
मेहनतके फल फेरो कही घरक चोर नै ल जाइ ।
२०७३, २, ७

गीत



पियाजी बसै छैथ जाके बिदेश
दुर्गति कहु कोना भेजु  सनेश
पिया जीबसै छैथ ......


पापी पपिहा  तन मन झक्झोरै
पियाके शब्द सुनअ मन हिलकोरै
सुधि नइ देहक, भाबे नहि भेष
दुर्गति कहु कोना भेजु  सनेश
पिया जीबसै छैथ ......


झरिगेल आम, गुजरि रहल महुवा
सोभै नहि टिकुली , गहना नौउवा
रातिके छातीमे फाटैये कुहेश
दुर्गति कहु कोना भेजु  सनेश
पिया जीबसै छैथ ......


छोरु पिया छोरु धनकेर आशा
साग खायब,रहब, हृदय पास
लोग बैध पुरा करथि महेश
दुर्गति कहु कोना भेजु  सनेश
पिया जीबसै छैथ ......

दिनेश रसिया २०७३,२,६,5

गजल nepali

चलाई नजरैका ती बाण प्रिय खन्दै छौ मेरो चिहान प्रिय देखे मैले तिमीलाई सपनी आज गर्दै थियौ अरुसंग मुलाकात प्रिय सागरसरी चोखो माया गर्थे तिमीलाई कसरी गर्यौ तिमीले विश्वासघात प्रिय सोझो र सिधा ठानेर मलाई तिमीले मुटुभरि चोटैचोटको दियौ सौगात प्रिय कसरी बाचन सक्छु म तिमी नै भन अब चिहानसम्म पुग्दै छ मेरो बारात प्रिय दिनेश रसिया
2073/01/05

गजल Nepali



मधुकण्टाले भरिएका आवाजहरु सुनिरहन्छु म
आफनो बेग्लै एउटा संसार बुनिरहन्छु म

प्रेको अनुभुतिमा पागल ठान मलाइ तिमी
चोखो मायालुको कस्तुरी मनभरि खोजिरहन्छु म

सकुसल नै छु आज पनि तिमीले दिएको माया पाएर
केवल तस्विरलिई हातमा आजपनि   रोइरहन्छु म


सजिलो छैन बिर्सिन  तिम्रा यादहरु यो मुटुबाट
तमिीलाई भुलीदिने प्रयास जीवनभरि गरि रहन्छु म

छैन अब आशा बाकी तिम्रो फक्रिने कुनै
तै पनि निर्रथक प्रयास अझै गरिरहन्छु म

2073/01/05
दिनेश रसिया

************ गजल****************

************ गजल****************
अहाँ हमरासँ एना सदैत रुसल रहै छी किए ? कखनो देखी नै अहाँकऽ हमरा कल्पबै छी किए ? नैन ताकैत रहैए सगरो अहिँके हरदम, हमरा छोड़ि अहाँ परोछेमे रहै छी किए ? नाता जोड़ि लेने छी की दोसरसँ अहाँ, आई काल्हि हमर बात नै बुझै छी किए ? राति काटऽ दौडैए अस्गरमे बिछान पर, सपनोटामे आबिक' दर्शन नै दै छी किए ? पियासल छै "रसिया" अहाँक' एक चुरु नेह लेल, प्रेमक' मधुशाला अहाँ नै पियबै छी किए ? ************* २०७२/१२/२
*******************************************

हमरबौवाके कनिया (गद्य कविताः एगो छोट प्रयास



चल गे बहिना कनिया देखैला
हे कहादैन बड निक कनिया
लौलकै य टुनटुन बौवा
कहाँदुन बिना तिलकेके
बियाह भेलौये
गै तोरा केना मालुम भेलौवे ?
mithilak ek got kharab parampara antya dish deg badha rahal (Pic: Gayatri singh)
तोरा नै बुझल छौ
कमरो बौ बराती गेल रहै
ओ त ओकरे सँगे परहै छैने
बौवा बाजैछल
जे मानदान
सेहो बड निक जका भेलै
कियाक नै हौ
कनया बर दुनु
परहले जोडी है
गै तोँ त कहै छि
मुदा तरेतरे लेने हेतै कि ?
गै सौसे दुनिया हल्ला छै
तोरा कानमे
ठेकी पर हौ
जत माछ रहै छै
ओत बिसाइने
गन्हाइत रहै छै
तोँ चुप हो आब
हमहु अपन बौवाके
वियाहमे नै लेब ढौवा
मुदा कनिया परहल लिखल
आ चिकनचुनमुन अनब
मुदा इ तिलकके ?
तिललके त झटबै
खररा–बाढैन सं ।
दिनेश रसिया २०७२–१०–२५

हकार


   हकार
                        दिनेश रसिया
         
             

स्वागतम अछि हे अथिति गण इ पुण्यभुमी मधेश मे
आदर करैत छि हम यज्ञ भुमी मा सीताके नैहर मे
हम रहै छि जत उ अछि पृथ्वीपर उपहार
एक बेर आइब क देखु पाहुन बाइट रहल छि हम हकार ।।

यज्ञ भुमि इ शान्ति भुमि अइ ,शान्तिके पुजारी हम
दर्दमे किन्को देखक भ जाईत अइछ आइख इ नम
धरती चिरक अन्न उगाबी बाहमे हमर अते अछि दम
मन हमर अछि ऐना जेहेन भाषा हमर अतेक अछि नम्र
इ कोनो घमण्ड नै ,अछि इ हमर सरल व्यवहार
एक बेर आइब क देखु पाहुन बाइट रहल छि हम हकार ।।

स्वागतमे रखने छि हमसब माछ,मरुवा,पान,मखान
घर घर सुनाबे कोइली अत विद्यापतिके मधुर गान
धोती कुरता पगरी आ पान,घर घर अइछ प्रेमक दुकान
भुखल रहै छि हरदम पाबैलेल अपन सम्मान
इ कानो झुठ नै ,नै कोनो अछि व्यापार
एक बेर आइब क देखु पाहुन बाइट रहल छि हम हकार ।।


पाहुन अछि हमर लेल महान
जेना सिताके पाहुन श्रीराम
सबस सुन्दर मिथिला धाम
विश्वमे नामी जनकपुर गाम
माँ जानकी के करी प्रणाम
हम कतेक एकर करी बयान
अपने देखलेल भजाउ तयार
कियाकि।।।
एक बेर आइब क देखु पाहुन बाइट रहल छि हम हकार ।।
एक बेर आइब क देखु पाहुन बाइट रहल छि हम हकार ।।

शुभ दिपावली


शुभ दिपावली
 दिनेश रसिया 
Dinesh Rasya
जनता आ नेता के अपने ताल
एक एक कइर बितै अइछ सब साल
लोकक छै अपने ताल
गरिबक के जनै हाल
चौक चौक पर करै य भासन खाली
हमर तरफ सँ शुभकामना शुभ दिपावली

घाँसपातके बढल अछि दाम
युवा सबके नै अछि कोनो काम
रोज रोज सब जाई अछि विदेश
कोना आगा बढत अपन ई देश
नोकरीमे चलैय घुसक तबाही
हमर तरफ सँ शुभकामना शुभ दिपावली

शान्तिके स्थापना करु सबहक अइछ बोल
संविधान निर्मणके चलल अइछ होर
मुदा बड बड नेतासब अइछ बिधान चोर
जागु युवा करु संविधान बहाली
हमर तरफ सँ शुभकामना शुभ दिपावली ।

मनक इच्छा पुरा हुवे पूर्ण हुवे सब काम
जगमे अहुके हुवे बडका नाम
माँ लक्षमी नै हुवे कहियो बाम
खुशिया मिले आहाके तमाम
नेपालो मे हुवे अपन नव संविधान
सब जनतामे बढे खुशहाली
हमर तरफ सँ शुभकामना शुभ दिपावली ।


चुनाव आ जनता

     चुनाव आ जनता
             दिनेश कुमार दास
संविधान सभाके आइब गे अइछ चुनाव
डगमग डोले सबबहक नाव
नेतासब घुमे गावं–गावं
सबकियो भोटके करे तनाव
नेतासब देखे सपनामे सत्ता
नाचैत नेताके देखे चुनाव आ जनता

लागल अइछ व्यवहारक मेला
नेता मदारी देखाबे खेला
गाऊ–गाऊमे जनसागरके रेला
मुहलगुवा सब नेताके चेला
चुनावक बाद नै रहत ककरो पत्ता
नाचैत नेताके देखे चुनाव आ जनता

एक एक भोटके अइछ बहुत मोल
पैसामे नै करु एकर नाप तोल
कहैय समैय खोलु आइखक पर्दा
आहा नै बनु सडकके गर्दा
चुनव सही नेता जे करे जनताके मान
जेकर पर हम सब करि अभिमान
देखब आहा सब नै भ जाइ कोने गलती
बहुत सत्ताखोर सबहक अइछ बड चलती
सही उम्मेदवारके लगाबु पता
नाचैत नेताके देखे चुनाव आ जनता
2070/7/27

hindi sayri-dinesh rasya

देखै छि जे हेतै आब सुहन्गर भोर
मुदा अचकेमे सरधुवा ढाइर दैय इन्होर ।
थोरबे देरमे ढोलहा पिटा गेलै सब ओर
छनैहमे लगैय शरिरमे प्राण नैहि अछि थोर ।।

मरकर जीने से अच्छा,
जी कर मरो

कल तो सभी करते है, तुम आज करो ।


आप तो युहीँ मेरे तारिफमे लगे रहते हाइ
जिसका मै काबिल नहि ।
असली मसिहा तोँ आप है
जिनके आगे कोइ काबिल नहि ।

झुठे तो सारी दुनिया है जिुका मोहताज हम नहि
यूँ तो सारे सम्झते हैँ मुझे जिसका मुझे गम नहि ।।

ये तो मौसमका करामत है कि हमारे भी तनपे कपडे है
वरना ये इश्कने साला हमे फकीर बनाके छोडा ।

जिससे मेरी जिन्दगी आवाद थी
ओ बेकल रहे तकदीरके लिए ।
ओ लुटता रहा मजा जिन्दगी की
और हम तरस गये एक तस्बीरके लिए ।

सागर थी मेरे पास प्यासे थे हम ।
खुश थी ओ धर बसाकर औ मेरे आँख थी नम ।।


ओ कहती रही तुम मुझे ही क्यो कोस्ते रहते हो ।
हमने कहा कि जो आप मिठा होता है ज्यादा चोट उसे ही परती है ।

आप तो खुश किश्मत है कि आपको फकीरने बोल दिया
साला ये इश्कने हमको ही फकीर बना दिया ।

हम झुठ बोले इसकी कोइ आस नही
कम्बक्त लोगोको अब हमपे विश्वास नही ।।


हारको एतराने दो उसके आने पे ।
हारतो शर्माएगा युँ मुश्कुराने पे ,
जमाना तो ठहरता नही कभी एक जगह पे,
कभी हम भी सफल होंगे पैमानेपे ।


तुमतो खुश हो मेरे नाम से
हम खुश है तेरे काम से
लोग कहते है कि सन्की है हम
किसीको भी बुला देते है तेरे नाम से ।।

...गजल....

सब दिन सुनलौ अपन देशमे गन्दगी भरल छै आइ पता चलल कि देश हमर ई बन्हकी परल छै । सबठाँ लगैछै मीता हरियर कंचनसन मुदा एखनोधरि मधेशके मन जरल छै । गरिब निसहाय एखनो दिन कटैछै कानि-कानि मुदा देशक नेताके खाली जेबी भरल छै । हक अघिकारके हनन त बीत बीत पर छै एहिठाँ चस्मा खोलिक' देखबै त पता चलत जे सबहक मोने सडल छै । अपन मातृभाषा व मातृभूमिक बचाबै लेल निकैल चुकल छै रसिया तें त एकर नाम एहि दुनियाँमे पागल रखल छै ।।
2072/9/28 saugat fm lahan
प्रदेशक सनेश

सागरके झीलमे उतरल अछि जीवन
झिझियाके झिहिर झिहिर सुनाइये
कखनो अपनसन कखनो आनसन लगैये
मुदा सतरंगी अहि जीवनमे सब किछो बिरानसन लगैये

दिक सिक निक छल अपने घरमे
एत सब किछ परेसानसन लगैये
दिन त गिनौह नै सकैछि प्रिये काममे
राइतक आहाक याद किछ भियौनसन लगैये ।।

उजरल मोनक बागमे कोयल नै कुहकैये
जारक कनकनीसन शरीर पुरा हिचकैये
दिनमे सोचै छि कि चैल जाउँ अपन घर घुइरक
मुदा बाबुजीक कर्जाके बोझ कपारेपर टङल लगैये ।।

कुहरै छि राइतके बोखारसं
सेठक बोली पहाड सन लगैये,
सुन्बैले बहुतबात अछि हमरा
मुदा देहमे नै प्राणसन लगैये ।।

दिनेश रसिया 23/9/072