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++++ गजल++++

     ++++ गजल++++


सबकियो आइ अनचिन्हार लगैय ।
छुछुनैरसन सबहक व्यवहार लगैये ।।

सगरो छिटकल इजोरिया छै दिने देखार
हमरा अपनो घर आब अन्हार लगैये ।।

पानि हाथीले सगरो छै अरिया उछाल
मुदा चिडैले पानिक हाहाकार लगैये ।।

मामा सकुनीके सत्ता घरे–घर छै
करेतोके पिढिया सतकार लगैये ।।

खुशहाली एलैय सभक धरमे,
सब झुठेके एत प्रचार लगैये ।।

आइग लगबो केलै, धर जरबो केलै
फेर बस्ती बसाब सोइच बोखार लगैये ।।

करिया कोटपर रसिया केने छै निलटिनोपाल
तैयो सबटा दाग फेर देखार लगैये ।।

दिनेश रसिया २०७३,३,९

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