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फेर हेतै नबका सुरुज
फेरो हेतै चान
मिथिलोके आजादी मिलतै
हेतैय उगना भगवान

धानसं भरल खेत हेतै
केकरो नै भुखल पेट हेतै
सबकियो रहतै मिल्जुइल क
सासन करबला नै कोनो सेठ हेतै

जाइत जाइतमे बिभेद नै रहतै
धरमके नामपर ऐब नै रहतै
हम बरका तो छोटका छें रौ
मिथिलामे एहन फरेब नै रहतै

नन्हको सब दिन स्कुल जेतै
बुचियो लेतै नया किताब
हमहि जेबै स्कूल छोरैले
करबै नै आब बिदेसमे काज

अपने हमर खेत हेतै
आ ओतैय चलेबै हर कोदारि
दुनु भैयारि मिलियेके रहबै
हेतै नै बिचमे कोनो आइर

हमर अपने नया बिधान हेतै
हमरे नमहर दलान हेतै
हम मधेशी सान सं रहबै
हमर नै कोनो पालन हार हेतै

रसे रस डेग सस्रलै ओहि दिस
दुनिया ओहने प्रतित भेलौ
गालपर बैठल ओ खन्चुवा
चट दे निने टुइट गेलै
२०७२–५–१४

आहा महान छि

हमर जान अहि ,हमर प्राण अहि
हमर पूजा अहि, हमर पाठ अहि
दुनिया चाहे हमर आब किछो कहे 
हमर दुनियाक चाँन अहि भगवान अहि ।

जे आइ जाइग गेल ओ बस आहा छि
जे आउर के जगेलक ओ आहा छि
डिबियाक टेमी खतम होइते छल
अपन सोनित द फेर जागृत केलौह ओ आहा छि ।

सत्ताधारी सब बड सोसन केलक
हमर पसिनाके कमाई अपन घरमे धेलक
अनहारेके रस्ता खुब घुमेलक
ललका लेमनचुस द अनेरे बुद्धु बनेलक
जे गुलामीके जन्जीर तोरलौ ओ आहा छि ।

आहा इ छि आहा ओ छि
कोना कहु आहा कि कि छि
आहा इना छि आहा ओना छि
कहबाक शब्द नै मिलैय कि आहा कि छि । 

आहा शहिद सन्तान छि
मधेशक प्राण छि 
हमर अभिमान छि
सत्ताधारीके हारल दलान छि 
हे बीर शहिद आहा महान छि ।
आहा महान छि

दिनेश रसिया लहान

होसियार नेता जी !!!

यौ नेता जी,
आहा बड बुद्धियार छि ।

हम आहा सं मांगैछि अपन अधिकार
आहा दै छि हमरा जुत्ता लात
हमहु त अहिंसन छि,
ओ ललका फल देख भुला जाइ छि
मुदा बिसैर जाइ छि कि     अहिसे पहिले देलहा फल छल महकारी            देखैमे ललिचरगर ,                उपर लाल आ भितर कारी


अहिमे पुरा हमरो दोष नै अइ
         कियाकि जकर पर भरोशा केलौह
              उहे बनल आहाके लग भिकारी
                     हम कनैये ले जनै छि
            आ सगेँ रहल दलाल करैये अत्याचारी
        यौ नेता जी आहा बड होसियार छि ।
देश बेचनाइ त अहिके व्यापार छि ।।

देखु आइ फेर कि भगेल
      अधिकार माँग गेलौह त गोली चैल गेल
             सोचलौ आहामे दया धर्म हेतै
                        मुदा गोलीये लागल हमर प्राण चैल गेल
                             यौ नेता जी आहा बड होसियार छि ।
                                       देश बेचनाइ त अहिके व्यापार छि ।।

देश बेचै छि आहा भाषा भेष बेचै छि ,
      सिमाङ्कन कके आहा हमर प्रदेश बेचै छि,
वाह ! नेता जी ,
            एतबे नै हमरे लङ आइब क झुठ्ठा प्रेम बेचै छि,
                     सडकमे हमरा उताइर क अपने झुठक सनेस बेचै छि ,
                                                 यौ नेता जी आहा बड होसियार छि ।
                                                          तैयो कहै छि जे हम बड लाचार छि ।।


                                           आइ यौ नेता जी ,
                          पढहल लिखल हमर बेटा
                  आहा अनपढ देश चलाबी
         रौदमे खैटक हम अन्न उगाबी
आ आहा दौर दौर सब वाह वाही कमाबी 

भैर दिन खटे हमर परिवार
           साँझमे हमहि बनि लाचार
                 हमरा घरमे नुन आ रोटी
                      आहा घरमे दहिपर अँचार ।
                           यौ नेता जी आहा बड होसियार छि ।
                                   हम त तैयोँ कमाके खाइ छि,
                                            आ आहा कुकुरके परिवार छि । ।

दिनेश रसिया/ लहान
आहा बढैत चलु हम साथ छि
हमहु अहि जका अगुवायल छि
संघर्ष करै अबै छि हमहु तहिये सं
जहिया सं आहा अधिकारले गरमाइल छि
ह. सही कहे छि आहा बढैत चलु हम साथ छि

रौद हुवे या बतास हुवे
चाहे अहिलेल हमर प्राण्क आहुति लिये
म्दा हम आब लडैत रहब
चाहे कियो कियाक ने जरैत रहे
आहा भोर बैन चमकु हम अहाक प्रात छि
ह. सही कहे छि आहा बढैत चलु हम साथ छि ।
दिनेश रसिया लहान
लगैये हमरा
बैट गेलैय धर्ती
बैट गेलै अस्मान
भिन भगेलै दुनु बेटा
माइ अपन बैन गेलै विरान
लगैये हमरा
बैट गेलैय धर्ती
बैट गेलै अस्मान । ।

केकर भुँभुँर आइग तपब आब
साँझमे बैठब केकर दलान
देखु लोभी बौगला अछि ध्यान लगौने
जाइन नै कखन लेता सिंही मुङग्रीके जान
लगैये हमरा
बैट गेलैय धर्ती
बैट गेलै अस्मान । ।

अपन भाषा पहिचान बैटल य
बैंट गेल य पुर्खाके पहिचान
अपन एत आन बनल य
आन बैनल य महाजन महान
लगैये हमरा
बैट गेलैय धर्ती
बैट गेलै अस्मान ।।

दिनेश रसिया लहान 

प्राकृति आ प्रम्पराप्रति प्रेम, सद्भावक प्रतीक पावैन “मधुश्रावणी”



“साउन माँस विसहरी उगल नव चाँद”
“ राम घरे–घरे विषहरी लेली प्रवेश”
“ छोटी अँगनमा विषहरी बहुत पसारी ऽ ”
“ राम ताही अङगनमा  विषहरी खेलै जुवासारी”




जेहन मैथिली कर्णप्रिय लोकगीत सबसँ एखन मिथिलाक  घर आँगन सोहाओन भ रहल अछि ।
     विशेषक मिथिलाञ्चलके नवविवाहिता मिथिलानी सव हर्सोउल्लासके सँग मधुश्रावणी पावैन मना रहल छैथ ।
      साउन कृष्णपञ्चमीसँ सुरु भ क ऽ साउन शुक्ल द्वितिया धैर १५ दिन तक मनवअवला मघुश्रावणी पावैनमे विशेष कऽ शिव–पावर्ती  आ हुनकर पुत्री के रुपमे विषहरा –नाग नागिन ) के पूजा , मनमोहक लोक कथा सुइनक मनाओल जाइत अछि ।
        लोक कथा शिव–पावर्तीके गृहस्थ जीवन पर आधारित भेलाके कारणे नवविवाहिता के लेल कुशल गृहस्थी चलवैके प्रेरणा समेत दैत अछि । इ पाबैन विशेष क ब्राहमण, क्यास्थ, सोनार, देव जातीके नवविवाहिता महिलासब मनबै छैथ ।
गाँव–टोलके नवविवाहिता साज–श्रृङगार कऽ एक ठाम जमा भऽ बटगवनी, बरमासा, छमासा, चौमासा, लोकगीत गावैत मन्दिर, वाग–बगैचामे फूल लोढअ जाइ के दृश्य अती मनमोहक होइत अछि , इ पाबैन अवधि भैरि ।
विषहरा (नाग–नागिन) के पसन्द आवैवला विभिन्न मmार पात फूलसँ एक ठाम जमा भक पवनैतिन सब फूके डाली साजाबैत नचारी आ विभिन्न लोक गीत नाद गावैत छैथ । ओहे लोढल फूल आ मmाँर पात सँ दोसर दिन  विषहैरके पूजा कैल जाइत अछि ।
     जनकपूरके डेवडिहा के राधा मmा (हाल लहान –७ मे रहि रहल ) कहै छैथ “विषहाराके दुध लावा मधुश्रावनी पावैन  भैर चढेलासँ साँप किरा सँ बाल बच्चा आ पत्तिके रक्षा हाई के विश्वास रहल अछि । ओ कहै छैथ पवनैतिन विषहाराके दुद्य लावा वाइसफूलँ पूजा केलासँ आ गौरीके पूजा केलासँ सुहाग बढैके, पति दृघायु होई के विश्वास रहल अछि । ”
पावैन अवधि भैर यानि १५ दिन तक सासुर सँ आयल समान सब प्रयोग करैेत छैथ । ताहि हेतु पञ्चमी यानी पाबैनके पहिल दिन सासुर पक्ष सँ १५ दिन तकके सब समान विशेश कऽ के खाइके समान पडबके प्रमपरा रहल अछि ।
 राधा मmा कहैत छैथ “ एहन विद्य व्यवहार सँ नवविवाहिता के नयाँ सम्बन्ध जुडल सासुर पक्षसँ प्रेम आ सदभावमे प्रगाढता लाबैत अछि । ”
“साउन महिनाके हरियर वातावरण, कारी मेघ, बर्षाके मmरी , नवविवाहिताके श्रङगार लगायत मो लोभाववला विद्य व्यवहार सँ विवाहक नया बन्धनमे बन्हल युगल जोडीके प्रेम बढबैमे महत्वपूर्ण भूमिका खेलैत अछि इ पाबैन । तैह हेतु कतेको दुर रहलो पर पति इ पाबैनमे गाम आबैत छैथ । ”
विशेष क मधुश्रावणी पावैन नैहर मे मनवै के  प्रम्परा रहल पर व्यस्तताके कारणे सासुरेमे मनवैके प्रचलन बढल अछि । पावैनके अन्तिम दिन पूजापाठ सम्पन्न कऽ टेमी दागनाइके परम्परा रहल अछि । सिरहा माडरके राजकुमारी मmा कहै छैथ टेमी दनगनाई महिलाक अग्नी परिक्षा स्वरुप हाइत अछि । दुनु घुँडा आ पैरमिलाक चाइरर ठाम टेमी दायल जाइत अछि । एक ठाम या तीन ठाम फोका एनाइ शुभ मानल जाइत अछि । फोका जतेक पैघ होइया पति पतनी कऽ प्रेम प्रगाढ आ पति दृघायु हाइके मान्यता रहलो पर समयके सापेक्ष इ विद्य–व्यवहार के कठोरता कम क्याल जा रहल अछि से कहैत छैथ राजकुमारी मmा । टेमी दागअ के परम्परा निभाए रहल छि मुदा आब बहुतो ठाम आइगके टेमी नै  दऽ कऽ चंदन लगा कऽ शीतल टेमी दै के प्रचलन शुरु भ गेल ओ बतबैत छैत ।
समग्र मिलाक संसारमे रहल सम्पूर्ण जीव प्रती प्रेम, सँगी, साथी, समाजमे सदभाव, विवाहित नयाँ जोरीके अटुट सम्बन्ध बान्हैमे महत्वपूर्ण भूमिका खेलैत अछि पाबैन “मधुश्रावणी“