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लिप्रेक (यथार्थ)



ओ ः मर एमहर कत यौ ?
हम ः नै ओहने .....बहुत दिनक बाद देखै छि.... कखन एलौं ?
ओ ः आइये .....सुनुन
हम ः हँ कहु...
ओ ः फिलम देखलियै ?
हमः कोन ? नयाँ बला
ओ ः हँ
हम ः हं अहुँ देख (बिचेमे)
ओ ः हमरो आइन दिय ?
हमः रुम पर जाउ ललेब ।
ओः नै हमर रुमपर ने ने आउ ।
हमः अच्छा हेतै काइल आइन देब । एमहर कत तक?
ओ ः तरकरी नै छै कि खेबै सेहे ....आहा कत एफ एम दिस ?
हम ः नै साइकल टुइट गेलै से बनाबै लेल तहन एफ एम जायब ।
ओ ः हेत्तै तहन जाउ....
हम ठिक छै ।
.......................किछ देर बाद...............
ओ ः ने बनल साइकल ?
हमः काहाँ बन्लै आब बैन जेतै ।
ओ ः अते पुरान साइकलमे कि लगानी करैत रहै छियै, नयाँ ललेब से नै ?
हम ः पुरान भेलै तहन कि , प्रेम नै ने कम भेलै ?
ओ ः घरवाली छी से ?
हम ः नै मुदा कमो नै ।
 हा हा हा हा हा
ओ ः रुम जाइ छि
हम ः हेतै ।............ ओना कनि मोटा गेल्यै ?
ओ ः अहिके यादमे ?
हम ः साँचे ?
.......(मात्र चैवनिया मुस्कान..... आर ....बुझु स्वर्गक आनन्द)......
2072/9/7/4
दिनेश रसिया लहान सिरहा नेपाल
नोट ः सुघारके पक्ष देखाइब जरुर ।

गीत

गीत

कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै
अपने इ घरमे, मधेसी उपरमे गोलीके बौछार भ गेलै
कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै ।।

गेलै बुधना भोरे हौ ,भैया अधिकारक जोगार मे
हौ भैया अधिकारक जोगार मे ।
बैसलै छेलौ निर्दय कसैया मौका के तलासमे
हौ भैया मौकाके तलासमे
सबकोइ नारा लगेल्कै , उ निसाना लगेल्कै
गोली सिधे सिनाके पार भ गेलै
कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै ।

ओसरामे बैसल अपन टुनटुन मगन छेलौ
उ खेलमे हौ भैया मगन छेलै उ खेलमे
ओकरो बैमनमा मारलकै गोली, धदेलकै मृत्युके जेलमे
हौ भैया धदेलकै मृत्युके जेलमे
कि केलकै निदर्दी, काका काकीके जिन्गी अन्हार भ गेलै
कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै

भरखर खोललौ हमे यौ भैया एत नभका दोकान यौ
भैया एत नभका दोकान यौ
बरहल जाइ छै नमहर इ बन्दी, निकलल जाइ छै प्राण यौ
भैया निकलल जाइ छै प्राण यौ
एमहर महंगी बढल छै, करजा सिर पर चढ छै सब लचार भ गे लै
कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै ।

कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै
अपने इ घरमे, मधेसी उपरमे गोलीके बौछार भ गेलै
कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै ।।

दिनेश रसिया लहान सिरहा २०७२,८,१८ गते 

गीत

जीन्गी छै ब्याकुल बनल परिवारके बिना
सगर संसारमे हल्ला छै यौ मिता
नेपाली मरैछै एत अन्न पाइनके बिना ।।
निन्द नै अबैये प्रिय प्राणनाथके आसमे
लहुवेल चिलका कनैये दुधक तलासमे
मुदा छुछे हाथ फक्का कोना मारी
घरमे परल छै लास हुन्कर ,
अपना कौर उठाबी कोना
सीप उजरल छै एत अधिकारके बिना
जीन्गी छै ब्याकुल बनल परिवारके बिना ।।
साउस सशुर दिनभैर रहे मुरझायल
गाइ माल सब भुखले पियासल
जैन नै कि भेलौ ओकर आवाजमे
हुकैरो ने पाबै छै देख दिग्धल आकास बिना
सीप उजरल छै एत अधिकारके बिना
जीन्गी छै ब्याकुल बनल परिवारके बिना ।।

dinesh Rasya 2072/8/17