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====चान====

+++++कविता ++++
====चान====

चान अधहो निक
चान पुरो निक

चान हमरो निक
चान तोरो निक

चान चाने छियै
चान आने छियै
चान पिरीमे राखल
सब भगवाने छियै
चान घरो कनै
चान बहरो कनै
चान रस्ता ओगरने
चान हरदम कनै
चान माइयो छियै
चान बेटी छियै
चान अर्धाङगनी
चान बहिन छियै
चान जोगब परतै
चान बचब परतै
चान जिनगी हमर
चान हसब परतै
चान हस्तै जखन
चान खिलतै जखन
जग जगमग हेतै
चान बचतै जखन
चान जगमग करै
चान झकझक करै
चान इज्जत बढा
चान चकमक करै
चान धटतै जखन
चान बटतै जखन
जग खन्डहर हेतै
चान मरतै जखन ।
दिनेश रसिया
२०७३,३,१०

++++ गजल++++

     ++++ गजल++++


सबकियो आइ अनचिन्हार लगैय ।
छुछुनैरसन सबहक व्यवहार लगैये ।।

सगरो छिटकल इजोरिया छै दिने देखार
हमरा अपनो घर आब अन्हार लगैये ।।

पानि हाथीले सगरो छै अरिया उछाल
मुदा चिडैले पानिक हाहाकार लगैये ।।

मामा सकुनीके सत्ता घरे–घर छै
करेतोके पिढिया सतकार लगैये ।।

खुशहाली एलैय सभक धरमे,
सब झुठेके एत प्रचार लगैये ।।

आइग लगबो केलै, धर जरबो केलै
फेर बस्ती बसाब सोइच बोखार लगैये ।।

करिया कोटपर रसिया केने छै निलटिनोपाल
तैयो सबटा दाग फेर देखार लगैये ।।

दिनेश रसिया २०७३,३,९

===गजल===


फुलमे सुन्दर जेना बहार छी अहाँ ।
भँवराके निमन सृङगार छी अहाँ ।।

लाल कs आइख गुटरै दुनु चार पs,
पेरबा जोडीके निश्छल प्यार छी अहाँ ।।

रौदीयोमे जे सिहकै पिपर तरमे
मोन सीतल करै जे से ब्यार छी अहाँ ।।

मुस्की चौवनीया छै ओलती ओसारमे
नव कनिया जका दिलदार छी अहाँ ।।

देखी सुरैत अहाँक लिखी दुगो पाँती
प्रेम गजलके एगो आधार छी अहाँ ।।


दिनेश रसिया, २०७३,३,५

.......गजल.....

.......गजल.....
चुल्हीक आँच मे लहैक जाइ छै लोग ।
सही बातक सामने छहैक जाइ छै लोग ।

प्रेमक रसपान करु कतबो मधुशालामे
बात बुझह सs पहिने महैक जाइ छै लोग ।

मोन हर्षित हुवे चाहे हुवे बड दुखी
आवेगमे आइबक बमैक जाइ छै लोग ।

बाट सुखलो रहे आ सहिटो रहे
अन्बुझेमे कहियो गुरैक जाइ छै लोग ।

भले भुखले रही, कनी दुखले सहि
दुख दोसरके देखक सिसैक जाइ छै लोग ।

दिन दानब सनक, मोन रावन सनक
पीडामे देख सीता कुहैक जाइ छै लोग ।

रसन्चौकी लगल छै रसिया दलानपर
बिना मतलबके केम्हरो घुसैक जाइ छै लोग ।
दिनेश रसिया २०७३,३,९

।।गजल।।

।।गजल।।
लगैये हुनका भैर देह आँच ।
सुनाबी जखने बात हम साँच ।।
जँ मिठे मरे त माहुर किए दी
टुटै ये मोन आइ बैन क काँच ।
जीवनके सफरमे छी विद्यार्थी
जीन्गी परिक्षाके दैत रहु जाँच
गरिबीके लात परे ने पेट प
मञ्चक आगा बैठ देखु नै नाँच
कर्म भरोसे बैसल छै रसिया
सुखल आइरमे लगौने छै चाँच
दिनेश रसिया
२०७३–२–३१–२
सुझाबक आश रखने छी

।।गजल।।

।।गजल।।

आहा चलु हमहु आबै छि ।
गाबले गीत फेर गाबै छि ।।

शोर करु कतबो कानमे आहा
अपने धुनमे हम मुस्किाबै छि ।

सुतलके जगाब सम्भव छै
फुटल ढोल किए बजाबै छि ।

फुलक सोभा भग्वानपर निक
गन्हेल लहाश किये सजाबै छि ।

लातक भूत कहीं बातसे मान्लकैये
बीणपर भैँस आँहा नचाबै छि ।

हजारी पन्सैहिया परती परल छै
खोँटा सीक्का अहाँ चलाबै छि ।

देखु घर घरमे सम्शान छै एत
आहाँ मधुशालामे मौज मनाबै छि ।

दिनेश रसिया २०७३ जेष्ठ25