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हमरबौवाके कनिया (गद्य कविताः एगो छोट प्रयास



चल गे बहिना कनिया देखैला
हे कहादैन बड निक कनिया
लौलकै य टुनटुन बौवा
कहाँदुन बिना तिलकेके
बियाह भेलौये
गै तोरा केना मालुम भेलौवे ?
mithilak ek got kharab parampara antya dish deg badha rahal (Pic: Gayatri singh)
तोरा नै बुझल छौ
कमरो बौ बराती गेल रहै
ओ त ओकरे सँगे परहै छैने
बौवा बाजैछल
जे मानदान
सेहो बड निक जका भेलै
कियाक नै हौ
कनया बर दुनु
परहले जोडी है
गै तोँ त कहै छि
मुदा तरेतरे लेने हेतै कि ?
गै सौसे दुनिया हल्ला छै
तोरा कानमे
ठेकी पर हौ
जत माछ रहै छै
ओत बिसाइने
गन्हाइत रहै छै
तोँ चुप हो आब
हमहु अपन बौवाके
वियाहमे नै लेब ढौवा
मुदा कनिया परहल लिखल
आ चिकनचुनमुन अनब
मुदा इ तिलकके ?
तिललके त झटबै
खररा–बाढैन सं ।
दिनेश रसिया २०७२–१०–२५