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लिप्रेक (यथार्थ)



ओ ः मर एमहर कत यौ ?
हम ः नै ओहने .....बहुत दिनक बाद देखै छि.... कखन एलौं ?
ओ ः आइये .....सुनुन
हम ः हँ कहु...
ओ ः फिलम देखलियै ?
हमः कोन ? नयाँ बला
ओ ः हँ
हम ः हं अहुँ देख (बिचेमे)
ओ ः हमरो आइन दिय ?
हमः रुम पर जाउ ललेब ।
ओः नै हमर रुमपर ने ने आउ ।
हमः अच्छा हेतै काइल आइन देब । एमहर कत तक?
ओ ः तरकरी नै छै कि खेबै सेहे ....आहा कत एफ एम दिस ?
हम ः नै साइकल टुइट गेलै से बनाबै लेल तहन एफ एम जायब ।
ओ ः हेत्तै तहन जाउ....
हम ठिक छै ।
.......................किछ देर बाद...............
ओ ः ने बनल साइकल ?
हमः काहाँ बन्लै आब बैन जेतै ।
ओ ः अते पुरान साइकलमे कि लगानी करैत रहै छियै, नयाँ ललेब से नै ?
हम ः पुरान भेलै तहन कि , प्रेम नै ने कम भेलै ?
ओ ः घरवाली छी से ?
हम ः नै मुदा कमो नै ।
 हा हा हा हा हा
ओ ः रुम जाइ छि
हम ः हेतै ।............ ओना कनि मोटा गेल्यै ?
ओ ः अहिके यादमे ?
हम ः साँचे ?
.......(मात्र चैवनिया मुस्कान..... आर ....बुझु स्वर्गक आनन्द)......
2072/9/7/4
दिनेश रसिया लहान सिरहा नेपाल
नोट ः सुघारके पक्ष देखाइब जरुर ।

गीत

गीत

कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै
अपने इ घरमे, मधेसी उपरमे गोलीके बौछार भ गेलै
कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै ।।

गेलै बुधना भोरे हौ ,भैया अधिकारक जोगार मे
हौ भैया अधिकारक जोगार मे ।
बैसलै छेलौ निर्दय कसैया मौका के तलासमे
हौ भैया मौकाके तलासमे
सबकोइ नारा लगेल्कै , उ निसाना लगेल्कै
गोली सिधे सिनाके पार भ गेलै
कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै ।

ओसरामे बैसल अपन टुनटुन मगन छेलौ
उ खेलमे हौ भैया मगन छेलै उ खेलमे
ओकरो बैमनमा मारलकै गोली, धदेलकै मृत्युके जेलमे
हौ भैया धदेलकै मृत्युके जेलमे
कि केलकै निदर्दी, काका काकीके जिन्गी अन्हार भ गेलै
कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै

भरखर खोललौ हमे यौ भैया एत नभका दोकान यौ
भैया एत नभका दोकान यौ
बरहल जाइ छै नमहर इ बन्दी, निकलल जाइ छै प्राण यौ
भैया निकलल जाइ छै प्राण यौ
एमहर महंगी बढल छै, करजा सिर पर चढ छै सब लचार भ गे लै
कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै ।

कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै
अपने इ घरमे, मधेसी उपरमे गोलीके बौछार भ गेलै
कि बतैयौ तोरा भैया हौ अत्याचार भ गेलै ।।

दिनेश रसिया लहान सिरहा २०७२,८,१८ गते 

गीत

जीन्गी छै ब्याकुल बनल परिवारके बिना
सगर संसारमे हल्ला छै यौ मिता
नेपाली मरैछै एत अन्न पाइनके बिना ।।
निन्द नै अबैये प्रिय प्राणनाथके आसमे
लहुवेल चिलका कनैये दुधक तलासमे
मुदा छुछे हाथ फक्का कोना मारी
घरमे परल छै लास हुन्कर ,
अपना कौर उठाबी कोना
सीप उजरल छै एत अधिकारके बिना
जीन्गी छै ब्याकुल बनल परिवारके बिना ।।
साउस सशुर दिनभैर रहे मुरझायल
गाइ माल सब भुखले पियासल
जैन नै कि भेलौ ओकर आवाजमे
हुकैरो ने पाबै छै देख दिग्धल आकास बिना
सीप उजरल छै एत अधिकारके बिना
जीन्गी छै ब्याकुल बनल परिवारके बिना ।।

dinesh Rasya 2072/8/17

मिथिला स्टुडेन्ट युनियन नेपालक पहिल बैसार समपन्न



आइ लहानक पशुपति आदर्श  उच्च मा. वि. मे सम्पन्न मिथिला स्टुडेन्ट युनियन नेपालक पहिल बैसार बहुत उत्साहपूर्ण रहल । सन्थााम अध्यक्ष दिनेश रसियाकृ अध्यक्षतामे समपन्न भेल जाहिमे नारायन मधुशाला, रितेश मैथिल,हृदय नारायण यादब, गायत्री सिंहा, सृजना गजमेर,अर्जुनप्रसाद गुप्ता दर्दिला,अमरेश महतो, अनिल महतो, रामदेब यादब, गजेन्द्र गजुर, तेजु मैथिल लगायतक उपस्थिति रहल छल । जैह बैसारमे मैथैलिी भाषा आ सँस्कृतिक बिकास हेतु बहुतरास कार्यक्रमके आयोजना करबाक नियार केल गेल। पहिल चरणमे हरेक महिनाक पहिल सप्ताह सैन दिके बैसार बैसक कार्जक्रमके स्वरुप निर्धारण केल जेत आ काज आगु बढायल जेत । अहिबेर नियार अनुसार स्कूल स्कूल पुइग क विद्यालयमे बौवा बुचि सभके पढाइमे मैथिली भाषाक पाठ्यक्रम समावेस हेतु अपिल केल जेत । निजी तथा सरकारी विद्यालयमे नाटक, प्रहसन, बक्तृत्वकला, हाजरीजवाफ प्रतियोगिता आदिके आयोजना करबाक निर्णय भेल संस्थाक अध्यक्ष दिनेश रसिया जानकारी करेलैन । अहि बीच विभिन्न साहित्यकर्मीके रचना, गीत, गजल, गायन तथा चुटकिलाके बैछार भेल रहे । तेजु मैथिलके आ सृजना गजमेरके स्वर सभहहक उपर जादु क देने रहे । तहिना बाहबाहीमे अर्जुनप्रसाद गुप्ता दर्दिला, नारायण मधुशाला, गजेन्द्र गजुरके कविता रहे । रितेश मैथिलके स्वर आ कमेडी सबके लोटपोट कदेने रहे ।

गीत


सब बीत गेलैय दिन
सुख चैन लेलक के छिन
जिन्दगीमे बिना अहाके
पहाड भेलै जियल....
सब बीत गेलैय.....


बितल जेठक गर्मी
उडल ठोरक नर्मी
साथ अहाके बिन साजन
तरपैये पाइन बिना मछरी
सब बीत.......

सावनमे नचै कोना मोर
चर्कैय हिया बरी जोर
मुदा रुसल सजना
तकैयेने हमरा ओर
सब बीत...

देखै छि हम बाट अहाक
देखु बिते नै दिवाली छैठ
घाट पर यौ बालम
सगँे मांग्बै अपन ललनमा
सब बीत गेलैय ....

सब बीत गेलैय दिन
सुख चैन लेलक के छिन
जिन्दगीमे बिना अहाके
पहाड भेलै जियल....

दिनेश रसिया
२०७२/८/ ९

केहन जमाना आइब गेल





केहन जमाना आइब गेल
दिनेश रसिया

सीताके इ पवित्र भूमि,बुद्धक कहाबे पावन धाम ।
घर घर जत तिलकोर तरैये,गाछमे लटकल मिठगर आम ।
सुरबीर जै धरतीके बेटा,बुघिमानीके बढका बगान ।
लोरिक, दिनाभद्री, सलहेश सन राजाके जत नित हैय गुनगान ।
मुदा लगैये सब किछ हेरागेल, धरम हराके दुर भाइग गेल
मन नै लगैये एत मिता,देखु केहन जमाना आइब गेल ।।

अपन सृङ्गारक नै किछ पुछारी,दोसरके फैसन अछि बड भारी
अपन भाषा बनल लाचारी, दोसरके भाषामे बुझे अपन बुद्धयारी
पढल लिखल हमर बौवा, लगैये हमरा कक्हरबा फेल
मन नै लगैये एत मिता,देखु केहन जमाना आइब गेल ।।

नमस्कारपाती ओर गोरलग्गी बनल य एत कबारी दोकान
गुड मर्निङ आ सरी मिस्टर कहैमे सम्झे अपन अभिमान
गोदना, कजरी ओलक तरकारी जैन नै इ कत हेरा गेल
ट्याटु, हिपहप, पिजाबरगरके देखु बहना धलेल
मैथिली बजनाइ दुर दुहाइ, इंग्लिस कोरियनके अछि खुब मेल
मन नै लगैये एत मिता,देखु केहन जमाना आइब गेल ।।


धोती कुर्ता कत तक अछि, विवाह,मुण्डन और उपनैन
गाम अपन छोइरक घरक जमानसब ढौवालेल भेल पलाइन
धरम करमके बात हेरा गेल,घर घर पसरल दहेजक डाइन
कोशी, कमला, बलान हेरा गेल कण्ठमे उतरल बोतलक ह्वाइन
कोना कहु इ कोना कोना क बृद्धाआश्रम मधेस बनि गेल
मन नै लगैये एत मिता,देखु केहन जमाना आइब गेल ।।

2072/7/12



हम पत्रकार

 हम पत्रकार
              दिनेश रसिया

हम छि एकटा पत्रकार
न्याय दिलाबके लेने छि भार
जकर महिमा रहल अछि अपार
मुदा तैयो किया मरैत अछि पत्रकार

कहाबै छि हमहि देशक तेसर आईख
लगाक सूर्यपंखी घोराक पाईख
अन्याय निकाली हमसब ताईक ताईक
सत्य आ निष्ठा पर रहैछि अटल
तैयो किये पत्रकारेके गर्दैन कटल

हम सब करै छि सत्य तथ्यके खोज
सुबह से सामतक चाहे भुखल रही रोज
चाहे रह परे रौदमे खजुरक पात जेका सोझ
तब जाके करबै छि जन्ताके सही बातके अबगत
तैयो किया सब देखाबैये हमरे लग तागत

बाराके मरायल बिरेन्द्र शाह,कक्रा आयल छल आह
तब मरायल दिदी उमा सिंह,जकरा केलक संसार स बिदा
अखन देखु यादब पौडेलके भेल उहे गती,तैयो नै आयल अछि शान्ति
रोकु इ अत्याचार नै त आब करब हम सब मिलक पत्रकार जनक्रान्ति ।।।

2068-6-9

विवाह

विवाह
विवाह
                             दिनेश रसिया
विवाह दु गोट आत्माके मिलन अछि
नव वर बधु जैहमे परैत अछि
जन्मल संसार छोईर सासुर बैस जाईत अछि
लेकिन भगवान बेटिये के किये इ दिन देखाबैत अछि




बिवाहक ओइ जोडीमे नव घर बसाउँत
इहे आश ल अगाडी बढैत अछि माई बाप
ओही जोडीके बीचमे ल पिसाबैत अछि समाज
दहेज रुपी कङ्खनामे जरैत अछि समाज

घरक ओही झोलमे खसबैत ओ तेल
मरबा सँ घुरैत अछि वर होइत नई अछि मेल
समाजक ई गन्दगी सँ बैच जाईत जौ कोई
साशुरमे आईग लगा हुन्का माइर दैत अछि ओ

केहेन विपत्तीमे फसल अछि इ समाज
बिवाह बन्ल अछि ढौवा कौरीके बजार
ई बिवाहके कनङ हेतै उधार
जगु यौ युवा करु दहेजक प्रतिकार

माथ पर बाइन्ह लेने कफन



रै साँस छै अपन विस्वास छै अपन
तब किये डरै छे माथपर बाइन्ह लेने कफन ।।

चौरी अपन चाँचर अपन
खेत खलिहान अपन
हुल्सैत विहान जे देख्ली स्वपन
अइमे हमर गुनाह कि
जे माइग लेली अधिकार अपन
टुइट नै जाइ सासन तै माइर देलक आदमी छप्पन
मुदा तो डरै किये छे माथ पर बाइन्ह लेने कफन । ।

रौ गुडसं मीठ अइ बोली हमर
भैर दिन रौदमे कोरी हम्हि भवँर
साँग पात सं नुन तेल तक
सब चिजमे लाबे हमरे डगर
तैयो हमहि भुखले मरि छी
अहिमे गुनाह कि जौ खोजी स्वभिमान अपन
मुदा तो डरै किये छे माथ पर बाइन्ह लेने कफन । ।

रै चुटी सन मेहन्ती हम
धरती कोइरके पहाड बनालेब
रै मौधमाछी जेना मिलके आइ हम
सब कियो हाथमे हाथ जोइरके
फुलक रससं अपन धरमे मौध मखान बनालेब
आइ नै भेलै त कि, काइल्ह कमा लेबै ने धन
मुदा तों डरै किये छे माथ पर बाइन्ह लेने कफन । ।

धुर,   डरनाइ त डरपोकके बात छै
जे डरै उकर उपर सबहक लात छै
रै दुटा बेटा हमरा है एकटा कदेबै देशक नाम
मुदा सोनसन गम्का देबै अपन मधेशक गाम
लेकिन करब नै आब गुलामी ललेने छि प्रण
तैयो तों डरै किये छे माथ पर बाइन्ह लेने कफन । ।
तैयो तों डरै किये छे माथ पर बाइन्ह लेने कफन । ।
दिनेश रसिया लहान २०७२–६–२३

हुन्कर विचार छाइन

हुन्कर विचार छाइन जे 
हम हुन्का जरे भाइग जाइ
कियाकि ओ हमरा सं लभ करै छैत
आ हमरा विना नै जिब सक्ती
मुदा उन्कर कि हेतैन 
जे हमरा जन्मे से लभ करै छैथ
जे हमर हर पलमे खबैर रखलैथ
अपना नैहियो खाक हमरा खुवेलैथ
अपना धिपल रौदमे जैइर क
हमर लेल सिनेहगर छहाइर मंगौलैथ
जेक्रा हम भगवानसे भी ज्यादा लभ करै छि
उन्का केना छोइर दियैन
यानि हमर माँ–बाबुजी
जिन्कालेल दुनियाक हर खुसी कुरवान अछि
I Love my parents

माय हमर बिमार छैन

हेरा गेल आइखक निन
डुइब गेलौ हम
नोरक सागरमे
सुइध बुइध किछ
काम नै लागल
पेनकिलर खेनाइ
बेकार
टपकैत नोर
रुकबाक आश नै
अपन मनपर आने
विश्वास नै
साझे फोन आयल छल
गाम सं
पत्ता चलल जे 

माय हमर बिमार छैन
आ हालत बड खराब छैन...

गजल

आइ बड दिन बाद 
लागल य 
निनमे जागल रहै छि
कखनो कम कखनो बेसी
मुदा अपने दुख स 
बहुत बेपिर भ
ठनका जेना अपन
जिनगीके
बितल पल सब याद करैत
मधुमासमे सुखायल रहै छि
हमर इ दुखमे साथ त बहुत निभेलक
आ बहुतोके
अपन केमराबाला मोबाइल ल
फोटो खिचबामे बेस्त देखै छि ।

किये बन्लौ निठूर

जाइ छी आहा हमरा स बड दुर
हमर सपना कके चकनाचुर
हे हमर प्राणप्रिय आहाले फूल बन्लौ
मुदा आहा हमरा ले किये बन्लौ अते निठूर ।।

सँग सँग चलब बहैत छलौ
हमर मनमे रहब बजैत छलौ
आइ किये एना आहा बिरान भेलौ
हमरा स अतेक दुर चैल गेलौ
हमरा केलौ किया अते मजबुर
आहा हमरा ले किये बन्लौ अते निठूर ।।

आहाके प्रेममे हम पागल छी
आहाक नेहक डोरीमे तागल छी
मन कहैये सब बताबी आहाके
मुदा आहाके नैनक मोतीहार स हारल छी
जीबन भैर देखब आहाक बाट जरुर
आहा हमरा ले किये बन्लौ अते निठूर ।।

लागय प्रित आँहासँ

लागय प्रित आँहासँ
दिलमे जरल य दीप आहाक
मोनमे उठैय बहुतो सबाल
किया जुरल य नेह आहासँ

सागरमे किये तरङ्ग उठैयमनमे किये हिलोर मारैय
जेठक इ दुपहरीमे
काश्मिरके सरदी मन परैय


नैन आहाके सुनैयन लगैय
अहिक नजैरसँ दुनियाके हर रङ्ग देखैय
बिना आहा दुनिया अन्हार लगैय
पापी पेटक सवाले छोइर एलौ आहाके
मुदा अहिके मुुश्कीमे हमर प्राण बसैय

हमर खुशी हसैत रहैछि आहा
हमर आङ्गुर पकैर आगा बढबै छि आहा
नेहक दु कौर अहि खुवेलौ पहिले
जगमे भगवानोसे पहिले अबैछि आहा

माँ आहा जग छि
जगतक आधार छि
सबहक विश्वास छि
जीवनक गुणाधार छि
माँ आहा भगवान छि
हँ मा भगवाण छि हमर लेल आहा........

Geet

सासक विदेसिया रे
तोहरे करन्वा मधेशिया मरै ये आइ  ।
सासक विदेसि रे
सासक विदेसि रे
तोहरे करन्वा मधेशिया मरै ये आइ  ।


पहिले आइबके कहलौ बौवा हम करबौ तोरे नोकरी
भोट मँगैतकाल पैर प खैसक कइले बहुते चाकरी
साँझ परैतकाल बाट बिसरले हो
साँझ परैतकाल बाट बिसरले
करबै छे आब खेख्नी ,तुहे निसोखिया रे
कते दिन तक करबौ तोरे ले हम कमाइ
सासक विदेसि रे
तोहरे करन्वा मधेशिया मरै ये आइ  ।


घरमे परहल बेटा हमर बनल एत परदेशी
बुढमे भुख आस हरायल देसक चिंता बेसी
पोतापोती हकन कनैय हो...
पोता पोती हकन कनैय
पुतौहुवा अपने घरमे बनल विदेशी
कि सुनु निसोखिया रे
ठोर पर उरै छै फुफरी आइ
सासक विदेसि रे
तोहरे करन्वा मधेशिया मरै ये आइ  ।

दिनेश रसिया लहान

बेटीके करुण पुकार



माय गे तोहे किया हमराले कसाइ बनल छि
हम त किछो नै कहलयौ तोरा तैइयो किये पराइ बनल छि ।

भगवानक रचना इ सुन्दर संसार छै
इष्ट मित्र लग हमरे भेदभाव छै
हम अपने नै बन्लयौ ओहन
भगवान के आदेश तोइर बताह बनल छि
हम त किछो नै कहलयौ तोरा तैइयो किये कसाइ बनल छि ।

संसार छै हमरे सं,
तोरोमे छौ कमरे रुप
बेटा होइछै सुरजक किरण
हामरे अचरा हरयर धूप
तैयो किये हमरा फेक क अबै छि
हम त किछो नै कहलयौ तोरा तैइयो किये कसाइ बनल छि ।

सागर त एक दिन सुइख जेतै
सुरुज उगनाइ रुइक जेतै
हमरा जौँ अहिना गर्भैमे कारबे माय गे
धरतीपर बंश बाइहर रुइक जेतै
फेरो किये हमरा हकन कन्बै छि
हम त किछो नै कहलयौ तोरा तैइयो किये कसाइ बनल छि ।

हर घरमे हरा उपास्ना होइछै
भगवतीके रुपमे बन्दना हाइ छै
जौ घर जनम लै बेटी गे माय
आते कपार धैर बापक बिडम्बना होइ छै

अपनो जाग माय हमरा बचाले
दहेजमे हौलसैत प्राण जोगादे
पेटेमे किये मारौछे हमरा
बाहार निकलके एकटा रस्ता बनादे
सुन्दर संसार देखाके नैना जुरादे ।
सुन्दर संसार देखाके नैना जुरादे ।

दिनेश रसिया लहान सिरहा

अटकन मटकन

अटकन मटकन धेले चटकन
नेपालमे संविधान फरे
मधेशी जनता भुखे मरे
से जनता के नाम कि
मुर्ख मधेशी, इंडियन धोत्ती
नाम देलक निरङ्कुष  सासक विदेशी
मुदा हेतै फेर सोन सन बिहान
हमहु बनब एत महान
सँग चलु आँहा हम कि करब असगर
बाजु बौवा नब घर लेब कि पुरान घर

दिनेश रसिया लहान सिरहा

अजब सरकार गजब हडताल


सोनक टुकरी देश हमर
से फसल आइ बिच भवँर

के लगायत एकरा पार
देख चलती एकर पिटे जनता कपार

हम नचै छि अपने ताले ओ नचैय अपने ताल
शान्तिके अहि देशमे अजब सरकार आ गजब हडताल ।।

नजैर अगाडीमे हुवे नै खोकी झुठे एत कुकुरसन भुकी
क्यो करैये रासन चोरी कक्रो घर रोटियेले दुखी 

कतौ करे फठा जुलुस कतैह मसालमे आइग
आगा बढा जनताके नेता जाइये पछाडी भाइग 

अहिसे एतके जनता सब होइये खुब बेहाल
शान्तिके अहि देशमे अजब सरकार आ गजब हडताल ।।

देखलौ अतै कुकुर रयाली एतै लगल य गदहाके व्यापार
थारी पिटे अतैके जनता अकरे कपारपर होइये प्रहार

नेता सबके गजब एत गजबके  व्यवहार
कतौ करिया झन्डा कतौ दिपाबली त्योहार

वाह रे वाह हमर सरकार
जनतेके एत करे लचार

कतौ दुखक सागर कतौ डिस्को सुरताल
शान्तिके अहि देशमे अजब सरकार आ गजब हडताल ।।
दिनेश रसिया लहान सिरहा २०७२–०६–०६


मन खुुशी नयन अश्रुधार


बड स्नेह सं ओक्रा लगेलियै
अपन खुन सं ओक्रा सिचलौ
गाछी धिरे धिरे बरह लागल
फल लागल फूल लागल,
आम जेका मोजराय लागल

मुदा हाय रे हमर भाग
जैन कपारे छल फुटल
मोती जेका रहल हमर 
सब पाइत टुटल
फल तोरा गेलौह जखन
तखने चोरबा सबटा खा गेलौ ।।

अखन अपने बारीमे पाकल य फल
मोल छल हर्षित बड ललचायल
कि कहु केहन छल ओ पल
घरक मलकिबा धेने छल जल–थल
सात समुन्दर पार तक अछि हमर चर्चा
मुदा हमर घरमे जुमैय ने खर्चा ।।

दोधारमे पडल छि आइ हम
मोन अछि खुशी आइख अछि नम
खुशी छि जे देशमे बनल य संविद्यान
मुदा हमरलेल विधने अछि जैन बाम
मन होइये दिवाली मनबी हमहु
मुदा अधिकारके माँगी  भाइ हमर लैय हमर जान ।।

हमर लहास पर करै ये संविद्यानक व्यापार
भाइके घरमे देख दियाबाती
मन अछि खुशी नयन अश्रुधार
मन अछि खुशी नयन अश्रुधार ।।


दिनेश रसिया लहान सिरहा २०७२–६–१

दिनेश रसिया

की कहू 

फोटो


मैर रहल मधेशी, जैर रहल मधेश

मैर रहल मधेशी, जैर रहल मधेश 
हरा रहल अपन भाषा हरारहल अपन भेष ।
टुइट रहल अपन अधार,
छिना रहल य अपन प्रदेश 
मैर रहल मधेशी, जैर रहल मधेश ।।


हर घरके खुशहाली भाइग रहल य
घुराक घर लाब खुशी जनता जाइग रहल य
शिर कटे चाहे बहे खुनक धार
हम मधेशीके एके ललकार
बड सहलियौ तोहर गुलामी 
आब लक रहबै अपन अधिकार ।
घर घरसं जागे मधेशी माइग रहल य अपन मधेशी ।।
मैर रहल मधेशी, जैर रहल मधेश ।।


हमरे खेतक अन्न तुँ खाइछे
हमरे लग देखबे अभिमान
आब नै छोरबौ बौवा तोरा 
चाहे लले हमर तु प्राण
इटक जवाफ पथरसं देबौ
झाइर देबौ आब तोहर सेखी

घर घरसं जागे मधेशी माइग रहल य अपन मधेशी 
मैर रहल मधेशी, जैर रहल मधेश ।।
Dinesh Rasya @ Lahan Siraha

औंरीे पर गनल पबनी



कतेक छोट अछि जीन्दगी
तैमे औंरीे पर गनल अछि पबनि

साउनमे आयल नाग पञ्चमी
गोबर सं घर आङ्गन निपेली
नब बासनमे बनैये दुध लाबा
मन्तर पढैय धामी बाबा
राइत भैर करैय साँप धङ्ग्नी
औंरीे पर गनल अछि पबनि ।।

चौबिस दिन बाद अछि रक्षाबन्धन
कच्चा धागामे अछि बहुते दम
भाइ बहिनके अछि इ बड पबनि
मनबैये लक फूल, पान,बखान तखनी
औंरीे पर गनल अछि पबनि ।।

राखी आठे अष्टमी अन्हार
कृष्णजी आइ लेता अवतार
झुमैये अखन धरती गगन
औंरीे पर गनल अछि पाबैन ।।

अष्टमी दशे अछि चौरचन
धियापुता सँग बुढबो अइ मगन
खिर पुरी पर सबहक मन
चन्द्रमा के पुजा होइत अछि भौर आङगन
औंरीे पर गनल अछि पाबैन ।।

चौरचन बिसे अछि जितिया
बाबु सँगे खुस अछि पितिया
जितिया पाबैन बड भारी,
धिया पुत्ताके ठोइक सुताबे
अपना खाइये भैर थारी अछि इ कहबी
भोरबाके खाउ घेरा पात पर चुरा दही
धिया पुता कनिया रहैय सब मगन
औंरीे पर गनल अछि पाबैन ।।

जितिया दशे अछि दशैँ
दश दिन तक घरेमे बैसैइ
डाइन जोगिन पर नै अछि भरोसा
टोना टापरसं डरैके छोरु आशा
नब दुर्गाके अछि नौ रुप सजनी
खसी बोका कटैये अइमे खुब अखनी
औंरीे पर गनल अछि पाबैन ।।

दशै बिसे अछि सुक्राती
घर–घर बरैये दियाबाती
लक्ष्मी जी आब के सबके घर घरमे जाइउे बैठ
सुकराती छबे होइये छैठ
पुजाइये अइमे साँझ आ भोरक सुरुज
ठकुवा भुश्बा केरा मन परैये खुब
अइके बादो अछि बहुते पबनि
कतेक छोट अछि जीन्दगी
तैमे औंरीे पर गनल अछि पबनि ।
औंरीे पर गनल अछि पबनि ।।
2069-7-5
dinesh rasya

तरकारी स्कूल


आलु भन्टा स्कूल गेलैइऽ बोइकऽक नमहर झोरा 
सुथनी भैया थपरी बजाक स्वागत केल्कै ओक्रा
मुररै भैया खिस्सा कैहऽक सबके हसेलक
सजमैन, कदिमा ,टमाटरके भुँइयामे बैठेलक
कखहरबा परहैत बड दुरऽसं खिरा दिदी एलैन
मिरचाइ रानी सबाल कैरके करुऽ खुब लगौलैन
करैलाऽजी बड खुरलुची मास्टर जी ओकर देखलक
आगा बढैत मास्टर जी के पुच्छरी लटका देलक
कुमहर जी के उजर उजर दाह्री पकलऽय
निचा देख क छोटकी कोबी खुब हसैऽय
एतबाऽमे झुमनी उइठके भाइग गेल
कबऽ कबऽ लगैत ओल बौवा माफी माँइग लेल
गाँजर जी गीत गौलक ढोलक बजाऽक
बोडी दैया नाँच केलक डाँर लचकाऽक
टलछत्ता अङकल एतबामे बजादेलक धण्टी
अपन बच्चा लेबा एलैन बन्दा कोबी अन्टी
हेडमास्टर अदौरीऽजी तबला बजेलैन
पिटी मास्टर परबल सरजी प्रार्थना करेलैन
हाजरी खाता विद्याथीके कोमहर रखलऽय
पियौज रानी सबके हाजरी करबैऽय ।।
दिनेश रसिया लहान सिरहा

पुलिसबा जनताके मारैय गोली ।


बैसाखमे भेलौय लक्ष्मी पुजा
अषाढमे भेलौय होली
दुुनिया त आब उलटे चलौय
पुलिस जनताके मारैय गोली
गल्ती अइमे पुलिसके एको नै गे दाइ
अपने चिन्हल नेतबा सब एत बनल छै कसाइ
चैतमे जा के सैज रहलय कोहबरके रंगोली
दुुनिया जैन उलटे चलौय पुलिसबा जनताके मारैय गोली


ऊ बीस त हमहु कि कम छी
अनके बात पर फोरेत एत बम छि
अपन आन आब के बुझैय सैज गेलै दंगा टोेली
दुुनिया जैन उलटे चलौय पुलिसबा जनताके मारैय गोली
माघमे आब हेतै भरदुतिया झिझिया खेलब सामामे
हमरा आब के कि कहते हमर हात अछि बढका नेताक पैजामामे
लंका जरनाइ बन्द भगेलै, मधेशमे पसरल य विध्वंसके हुकालोली
दुुनिया जैन उलटे चलौय पुलिसबा जनताके मारैय गोली


माघ मासके लाय आ मुरही खायब आब धन रोपनी मे
मरुवा रोटी जलखैमे भेटै छल, मांस मदिरा बन्दि मे
कतेक जनतासे तौलेबे नेतबा,अइबेर हमहु तोरा सं तौलाली
दुुनिया जैन उलटे चलौय पुलिसबा जनताके मारैय गोली


आस्माानमे पाइन भरल य,आइग समुन्दरमे लगल य
हम त कहै छि लगैय हमरा सरकारे जेन पागल य
मन ते होइये शंकर जेका सब बिष हमहि उठाक पिलि
दुुनिया जैन उलटे चलौय पुलिसबा जनताके मारैय गोली ।


देखु दुनियामे भेलै अन्हेर आइ
बाघक बच्चा बिलैया ठकने जाय
माय गे कोइने पतियाय
भैर दिन खेले निसोखिया सब हमर खुनस होली
दुुनिया जैन उलटे चलौय पुलिसबा जनताके मारैय गोली । ।

दिनेश रसिया २०७२–५–१८/ 4 Sept.2015
आइ फेर परलै पाइन सौंसे खेत दहा गेलै
आइ फेर भेलै जमघट आ अपन माँग हेरा गेलै

मन त हमर बड खुस भेल अपन अघिकार माँगैतद देख क
मुदा हमर घरक दिपक जैन फोकटमे आइ हेरा गेलै । ।

साँस चलत जब तक
               तब तक हमहु लरब
अपन अघिकार माँगैले हमहु आन्दोलन करब
अइ जन–सागरमे अइ बेर हमहु तरब

मुदा फेर सं कहब कि पैरकल बिलैया धारे धार
हमर आहाके खुन पिके नै रफुचक्कर भ जाइ ओइ पार

कियाकि
इ सब अइ व्यापारी हमर जानसं करैये व्यापार
आउर खसवादी करै अत्याचार

हम सब अनाथ जनता छि बिलकुल लाचार
आबो त बन्द करु इ ब्यर्थक प्रचार

अगर नै त
बलिदानी दै के लेल भजाउ तयार
मुदा चुप भके आब घरमे नै बैठु धेने हाथमे हाथ

अपन देश बचाबले आबो त करु किछ प्रयास
अपन देश बचाबले आबो त करु किछ प्रयास । ।

बाल कविता



लौकहा लौकही गेल बजार
लौकही खसल धेले बजार


लौकहा बोलल कि भेलैन
लौकही कहलौन बौवा भेलैन


लौकहा बाजल कि सब लेब
लौकही बजली हौसली लेब

गेलैन दरभंगा केलौन सृङ्गार
बौवा लके चलल अपन बाबा दुवार i i

दुुनुु बेटा त अपने केकरा लके किरिया खाउ ?



लोग कहैये कि भेलौ वे
कथिले तुुं छे उदास
दुुनियाके खुुशी तोरे लग छौ
सब किछुु छौ तोरे पास
हरदम तोहे आस करै छे
सब पर तो बिस्वास करै छे
किछो ने तोहरसे अलग छौ,
बाज ने गे किये चुप छे तों

मुदा हम कि बाजु ? आ कत जाउ
दुनु बेटा त अपने
केकरा लके किरिया खाउ ?



अखन हमर अस्तित्व बिकाइ ये
घरमे खुन्क धार बहैये
देखक लभ कुशके झगडा
दुुनिया दाँते आङगुर कटैये
एकके बुोधी दोसुर कनैये
कहैये तों छि ओकरे पास
मुुदा हम कि बाजु रे बाउ
दुुनुु बेटा त अपने

केकरा लके किरिया खाउ ?



बिचे धरमे भित परल य
सौंसे देहमे कांट गरल य
भाला बरक्षी के देख लडाइ
हकन बिकन हमर मोन कनै ये
सोचै छि हम केकरा लङ रह जाउ

दुनु बेटा त अपने
केकरा लके किरिया खाउ ?



छोटे सही मुदा मोनमे आश
अखनो अछि बाँकी
खुन सं लतपत हम
अखनो एकटा सहारा ताकी
फेर सं आबे बेटा बुद्ध,
धरती चीरक निकले सिता
हाथी पर आबे बेटा सलहेश
आ तोइर दिये घरक बिचला भित्ता
फेरसं हम इ जरल समाजमे
अरिपन सं घर अपन सजाउ

दुुनुु बेटा त अपने
केकरा लके किरिया खाउ ?




दिनेश रसिया लहान २०७२–५–१५.....१ सेप्टेम्बर २०१५
फेर हेतै नबका सुरुज
फेरो हेतै चान
मिथिलोके आजादी मिलतै
हेतैय उगना भगवान

धानसं भरल खेत हेतै
केकरो नै भुखल पेट हेतै
सबकियो रहतै मिल्जुइल क
सासन करबला नै कोनो सेठ हेतै

जाइत जाइतमे बिभेद नै रहतै
धरमके नामपर ऐब नै रहतै
हम बरका तो छोटका छें रौ
मिथिलामे एहन फरेब नै रहतै

नन्हको सब दिन स्कुल जेतै
बुचियो लेतै नया किताब
हमहि जेबै स्कूल छोरैले
करबै नै आब बिदेसमे काज

अपने हमर खेत हेतै
आ ओतैय चलेबै हर कोदारि
दुनु भैयारि मिलियेके रहबै
हेतै नै बिचमे कोनो आइर

हमर अपने नया बिधान हेतै
हमरे नमहर दलान हेतै
हम मधेशी सान सं रहबै
हमर नै कोनो पालन हार हेतै

रसे रस डेग सस्रलै ओहि दिस
दुनिया ओहने प्रतित भेलौ
गालपर बैठल ओ खन्चुवा
चट दे निने टुइट गेलै
२०७२–५–१४

आहा महान छि

हमर जान अहि ,हमर प्राण अहि
हमर पूजा अहि, हमर पाठ अहि
दुनिया चाहे हमर आब किछो कहे 
हमर दुनियाक चाँन अहि भगवान अहि ।

जे आइ जाइग गेल ओ बस आहा छि
जे आउर के जगेलक ओ आहा छि
डिबियाक टेमी खतम होइते छल
अपन सोनित द फेर जागृत केलौह ओ आहा छि ।

सत्ताधारी सब बड सोसन केलक
हमर पसिनाके कमाई अपन घरमे धेलक
अनहारेके रस्ता खुब घुमेलक
ललका लेमनचुस द अनेरे बुद्धु बनेलक
जे गुलामीके जन्जीर तोरलौ ओ आहा छि ।

आहा इ छि आहा ओ छि
कोना कहु आहा कि कि छि
आहा इना छि आहा ओना छि
कहबाक शब्द नै मिलैय कि आहा कि छि । 

आहा शहिद सन्तान छि
मधेशक प्राण छि 
हमर अभिमान छि
सत्ताधारीके हारल दलान छि 
हे बीर शहिद आहा महान छि ।
आहा महान छि

दिनेश रसिया लहान

होसियार नेता जी !!!

यौ नेता जी,
आहा बड बुद्धियार छि ।

हम आहा सं मांगैछि अपन अधिकार
आहा दै छि हमरा जुत्ता लात
हमहु त अहिंसन छि,
ओ ललका फल देख भुला जाइ छि
मुदा बिसैर जाइ छि कि     अहिसे पहिले देलहा फल छल महकारी            देखैमे ललिचरगर ,                उपर लाल आ भितर कारी


अहिमे पुरा हमरो दोष नै अइ
         कियाकि जकर पर भरोशा केलौह
              उहे बनल आहाके लग भिकारी
                     हम कनैये ले जनै छि
            आ सगेँ रहल दलाल करैये अत्याचारी
        यौ नेता जी आहा बड होसियार छि ।
देश बेचनाइ त अहिके व्यापार छि ।।

देखु आइ फेर कि भगेल
      अधिकार माँग गेलौह त गोली चैल गेल
             सोचलौ आहामे दया धर्म हेतै
                        मुदा गोलीये लागल हमर प्राण चैल गेल
                             यौ नेता जी आहा बड होसियार छि ।
                                       देश बेचनाइ त अहिके व्यापार छि ।।

देश बेचै छि आहा भाषा भेष बेचै छि ,
      सिमाङ्कन कके आहा हमर प्रदेश बेचै छि,
वाह ! नेता जी ,
            एतबे नै हमरे लङ आइब क झुठ्ठा प्रेम बेचै छि,
                     सडकमे हमरा उताइर क अपने झुठक सनेस बेचै छि ,
                                                 यौ नेता जी आहा बड होसियार छि ।
                                                          तैयो कहै छि जे हम बड लाचार छि ।।


                                           आइ यौ नेता जी ,
                          पढहल लिखल हमर बेटा
                  आहा अनपढ देश चलाबी
         रौदमे खैटक हम अन्न उगाबी
आ आहा दौर दौर सब वाह वाही कमाबी 

भैर दिन खटे हमर परिवार
           साँझमे हमहि बनि लाचार
                 हमरा घरमे नुन आ रोटी
                      आहा घरमे दहिपर अँचार ।
                           यौ नेता जी आहा बड होसियार छि ।
                                   हम त तैयोँ कमाके खाइ छि,
                                            आ आहा कुकुरके परिवार छि । ।

दिनेश रसिया/ लहान
आहा बढैत चलु हम साथ छि
हमहु अहि जका अगुवायल छि
संघर्ष करै अबै छि हमहु तहिये सं
जहिया सं आहा अधिकारले गरमाइल छि
ह. सही कहे छि आहा बढैत चलु हम साथ छि

रौद हुवे या बतास हुवे
चाहे अहिलेल हमर प्राण्क आहुति लिये
म्दा हम आब लडैत रहब
चाहे कियो कियाक ने जरैत रहे
आहा भोर बैन चमकु हम अहाक प्रात छि
ह. सही कहे छि आहा बढैत चलु हम साथ छि ।
दिनेश रसिया लहान
लगैये हमरा
बैट गेलैय धर्ती
बैट गेलै अस्मान
भिन भगेलै दुनु बेटा
माइ अपन बैन गेलै विरान
लगैये हमरा
बैट गेलैय धर्ती
बैट गेलै अस्मान । ।

केकर भुँभुँर आइग तपब आब
साँझमे बैठब केकर दलान
देखु लोभी बौगला अछि ध्यान लगौने
जाइन नै कखन लेता सिंही मुङग्रीके जान
लगैये हमरा
बैट गेलैय धर्ती
बैट गेलै अस्मान । ।

अपन भाषा पहिचान बैटल य
बैंट गेल य पुर्खाके पहिचान
अपन एत आन बनल य
आन बैनल य महाजन महान
लगैये हमरा
बैट गेलैय धर्ती
बैट गेलै अस्मान ।।

दिनेश रसिया लहान 

प्राकृति आ प्रम्पराप्रति प्रेम, सद्भावक प्रतीक पावैन “मधुश्रावणी”



“साउन माँस विसहरी उगल नव चाँद”
“ राम घरे–घरे विषहरी लेली प्रवेश”
“ छोटी अँगनमा विषहरी बहुत पसारी ऽ ”
“ राम ताही अङगनमा  विषहरी खेलै जुवासारी”




जेहन मैथिली कर्णप्रिय लोकगीत सबसँ एखन मिथिलाक  घर आँगन सोहाओन भ रहल अछि ।
     विशेषक मिथिलाञ्चलके नवविवाहिता मिथिलानी सव हर्सोउल्लासके सँग मधुश्रावणी पावैन मना रहल छैथ ।
      साउन कृष्णपञ्चमीसँ सुरु भ क ऽ साउन शुक्ल द्वितिया धैर १५ दिन तक मनवअवला मघुश्रावणी पावैनमे विशेष कऽ शिव–पावर्ती  आ हुनकर पुत्री के रुपमे विषहरा –नाग नागिन ) के पूजा , मनमोहक लोक कथा सुइनक मनाओल जाइत अछि ।
        लोक कथा शिव–पावर्तीके गृहस्थ जीवन पर आधारित भेलाके कारणे नवविवाहिता के लेल कुशल गृहस्थी चलवैके प्रेरणा समेत दैत अछि । इ पाबैन विशेष क ब्राहमण, क्यास्थ, सोनार, देव जातीके नवविवाहिता महिलासब मनबै छैथ ।
गाँव–टोलके नवविवाहिता साज–श्रृङगार कऽ एक ठाम जमा भऽ बटगवनी, बरमासा, छमासा, चौमासा, लोकगीत गावैत मन्दिर, वाग–बगैचामे फूल लोढअ जाइ के दृश्य अती मनमोहक होइत अछि , इ पाबैन अवधि भैरि ।
विषहरा (नाग–नागिन) के पसन्द आवैवला विभिन्न मmार पात फूलसँ एक ठाम जमा भक पवनैतिन सब फूके डाली साजाबैत नचारी आ विभिन्न लोक गीत नाद गावैत छैथ । ओहे लोढल फूल आ मmाँर पात सँ दोसर दिन  विषहैरके पूजा कैल जाइत अछि ।
     जनकपूरके डेवडिहा के राधा मmा (हाल लहान –७ मे रहि रहल ) कहै छैथ “विषहाराके दुध लावा मधुश्रावनी पावैन  भैर चढेलासँ साँप किरा सँ बाल बच्चा आ पत्तिके रक्षा हाई के विश्वास रहल अछि । ओ कहै छैथ पवनैतिन विषहाराके दुद्य लावा वाइसफूलँ पूजा केलासँ आ गौरीके पूजा केलासँ सुहाग बढैके, पति दृघायु होई के विश्वास रहल अछि । ”
पावैन अवधि भैर यानि १५ दिन तक सासुर सँ आयल समान सब प्रयोग करैेत छैथ । ताहि हेतु पञ्चमी यानी पाबैनके पहिल दिन सासुर पक्ष सँ १५ दिन तकके सब समान विशेश कऽ के खाइके समान पडबके प्रमपरा रहल अछि ।
 राधा मmा कहैत छैथ “ एहन विद्य व्यवहार सँ नवविवाहिता के नयाँ सम्बन्ध जुडल सासुर पक्षसँ प्रेम आ सदभावमे प्रगाढता लाबैत अछि । ”
“साउन महिनाके हरियर वातावरण, कारी मेघ, बर्षाके मmरी , नवविवाहिताके श्रङगार लगायत मो लोभाववला विद्य व्यवहार सँ विवाहक नया बन्धनमे बन्हल युगल जोडीके प्रेम बढबैमे महत्वपूर्ण भूमिका खेलैत अछि इ पाबैन । तैह हेतु कतेको दुर रहलो पर पति इ पाबैनमे गाम आबैत छैथ । ”
विशेष क मधुश्रावणी पावैन नैहर मे मनवै के  प्रम्परा रहल पर व्यस्तताके कारणे सासुरेमे मनवैके प्रचलन बढल अछि । पावैनके अन्तिम दिन पूजापाठ सम्पन्न कऽ टेमी दागनाइके परम्परा रहल अछि । सिरहा माडरके राजकुमारी मmा कहै छैथ टेमी दनगनाई महिलाक अग्नी परिक्षा स्वरुप हाइत अछि । दुनु घुँडा आ पैरमिलाक चाइरर ठाम टेमी दायल जाइत अछि । एक ठाम या तीन ठाम फोका एनाइ शुभ मानल जाइत अछि । फोका जतेक पैघ होइया पति पतनी कऽ प्रेम प्रगाढ आ पति दृघायु हाइके मान्यता रहलो पर समयके सापेक्ष इ विद्य–व्यवहार के कठोरता कम क्याल जा रहल अछि से कहैत छैथ राजकुमारी मmा । टेमी दागअ के परम्परा निभाए रहल छि मुदा आब बहुतो ठाम आइगके टेमी नै  दऽ कऽ चंदन लगा कऽ शीतल टेमी दै के प्रचलन शुरु भ गेल ओ बतबैत छैत ।
समग्र मिलाक संसारमे रहल सम्पूर्ण जीव प्रती प्रेम, सँगी, साथी, समाजमे सदभाव, विवाहित नयाँ जोरीके अटुट सम्बन्ध बान्हैमे महत्वपूर्ण भूमिका खेलैत अछि पाबैन “मधुश्रावणी“

आइ फेरो भेल मुलाकात
सचके झुठ सं
छावंके धुपसं
देखते मुह
घुमालेलैन ओ
झाइप लेलैन अपन अचराके छोर सं
मुह छल झापल आइख उघारे
नैन छल भरल नोरसं
तडैप गेलौह हम
मुदा मन कहलक
नै कनु आहा
ओ नेह लगौलैन केकरो औरसं ।।
कि कहि विधिके लिखना
एकर लेखजोख नइ
हमरे घर छेल बनल भोज
हमरे पत्ता भात नइ
जिव छल हमरे
हमरे छल प्राण
हमरे चावल हमरे धान
दुरामे राखल छल माछ, पान मखान
मुदा हमरे भेल खोज नै
हमरे घर छेल बनल भोज
हमरे पत्ता भात नइ
समाजक रीत देख मन छछनाइ ये
देख मुरुख सन व्यवहार बुइध हेराइये
कहैये हमर लग नै सटु
हमर देह छुबाइ ये
हमरे भोजमे हमर छुवैके अधिकार नै
हमरे घर छेल बनल भोज
हमरे पत्ता भात नइ
रङ्ग देखलौ,
रुप देख्लौ
जाडमे निक धुप देखलौ
देस देखलौ
बिदेस देखलौ
केहन केहन भाषा भेष देखलौ
इष्र्या देखलौ
द्धेष देखलौ
झुठक प्रवेश देखलौ
साथ देखलौ
घात देखलौ
भाइ भाइमे प्रहार देखलौ
रौदी देखलौ
दहार देखलौ
आइगलगीके संसार देखलौ
भू–कम्प देखलौ
पिडित जनता देखलौ
पल भैरमे बदलौत संसार देखलौ
पडोसीके आदर सत्कार देखलौ
विदेशीके शिष्टाचार देखलौ
मुदा नै बदलैत नेपालक ,
लोभी नेतासबके व्यवहार देखलौ ।।।।

के पाएँ मैले

परिवारमा थिए म कान्छा
कान्छै भन्थें सबैले
माया पाउँथे सबैको
माया गर्थे सबैले


खुसी थिए म आज
कान्छा आउने कुराले
मनमा कहिकतै टुसा पलायो
र पालन थालेआशा मैले











मनमा डर पनि लाग्थ्यो
फेरी आमा बुवाको भर पनि लाग्थ्यो
फेरी मनमा कता कता इष्र्या पनि हुन्थ्यो
माया बाडिने हो कि कुराले



अन्कन्टार अन्धेरी रात थियो, पिलपिल टुकी बलेको
मन्दिरको अङ्गेनीमा थियो एउटा दियो जलेको
आँखामा थियो खुशी हर्ष र खुशीको
भाई रोएको करुण स्वर चारैतिर थियो छरेको ।।र।।

हमर बिचार



जन्ता किये अत बन्ल लाचार
भुइल गेल सब सिस्टाचार
सब कुछ अइछ एत खराब
आब कि कहु हम अपन बिचार

नेता अइछ कुर्सीमे झुल्ल
जन्तासब बिरोधमे भुलल
घुसखोरके दैय हकार
आब कि कहु हम अपन बिचार

विद्यार्थीके किताब नै पुगैय
गरीब सबके भात नै पुगैय
शोषित सबके हात नै पुगैय
मिली भगतके नखरा हजार
आब कि कहु हम अपन बिचार

पत्रकार अछि घुषमे तुल्ल
दिन राइत अइछ फिसमे भूल्ल
कहैय पुगबै छी असल संचार
मुदा पत्रकारिता बन्लय एत व्यापार
आब कि कहु हम अपन बिचार

नारी अइछ  वेदनामे डुबल
दहेजक फूल अइछ धरधर फूलल
घर घर अइछ भेदभावक दलाल
के उठायत एकर सवाल
कतौह नै होइय एकर प्रचार
आब कि कहु हम अपन बिचार

शहीदक सपना सकार करु
समाजक बात पर बिचार करु
दिदी बहिन अइछ बड पछुवायल
जागु युवा एकर प्रतिकार करु
सब संदेशक इहे अइछ सार
एह अइछ आब हमर बिचार

१८. सिनेहिया बेदर्दा

गामक सिमान पर नित भेटैतछेलौ
एक दोसराके दर्द बुझबैत छेलौ
आइखमे नोर नै देखैत छेलौ
नइ जाइन केकर लागल नजर
सिनेहिया बैनगेल बेदर्दा हमर ।

मनक बात कोइ नई जनैत अछि
सब कियो जाइत धर्मलेल मरैत अछि
धध्कल अइ आइगे सिनेहिया जरैत अछि
अहिमे जइर गेल करम हमर
सिनेहिया बैनगेल बेदर्दा हमर ।

छोरक मन त केकरो नइ छल
मुदा समय केलक हमरा स छल
साजनके मन तोइर क आइ
कइर देलक हमर प्रेम बिफल
अहि दुखक शोगमे नेह भगेल तर हमर
सिनेहिया बैनगेल बेदर्दा हमर ।

आइ जिबैछि हम एकेटा बात लेल
प्रेमक अहि अन्हर बिहाइर कोइ नै हुवे फेल
प्रमक मधुर मिलनमे नै लगबे आइग ढाइर करुवा तेल
पाइरमे नै बेरी हुवे सामाज नै हुवे जेल
सजना नै बने कहियो बेदर्दा आहाक ।
सजना नै बने कहियो बेदर्दा आहाक । 

प्रित में हमरा अहाँ,किए ऐना बर्बाद करै छी, नै हमरा सँ बात करै छी, नै हमरा अहाँ याद करै छी!

गीत दिनेश रसिया 
 
 आहाक सगेँ जियब हम सगेँ मरब यौ मीत ,
 गायब मिथिलाकेर गीत गायब मिथिलाकेर गीत ।।
 जिyब सगेँ हम पोखरी महार पर , खेतक माछ खायब सजमैन चार पर दही चुरा सगेँ खायब अँचारक अमृत गायब मिथिलाकेर गीत गायब मिथिलाकेर गीत ।। 
 
 सबरी के बैर जेहेन हमर माछ पान यौ
 घर घर बखारी आ नमहर दलान यौ
 सरसोके फूलस भरल खेतक बीत बीत
 गायब मिथिलाकेर गीत गायब मिथिलाकेर गीत ।। 
 
मेहन्त हमर कमला कोसी बलानसन 
नामी हमही विद्यापती जीक गाम सन
 हो हो हो बारीक बथुवा सन किछो नै मिठ 
गायब मिथिलाकेर गीत गायब मिथिलाकेर गीत ।।
 
 जगमे कतौह नै पाहुन श्री राम सन
 मण्डन अया जी आ उगना भगवान सन 
एत बुद्धक सन्देस बाल बच्चाकेर सीख
 गायब मिथिलाकेर गीत गायब मिथिलाकेर गीत ।।
 
 आहाक सगेँ जियब हम सगेँ मरब यौ मीत , गायब मिथिलाकेर गीत गायब मिथिलाकेर गीत ।।
आहा लेल जान ददेब हम 
दिनेश रसिया


आहाके प्रेम मे जान ददेब हम 
आहा खातिर अपन प्राण ददेब हम 
आहा जन्म देलैह जै भूमि पर माँ 
ओ भूमि लेल जहान ददेब हम

 सात समुन्दर पार कि रिस्ताके खातिर धनक दिवार की 
अपन घर बचाबके लेल क्षण भैरके प्यारके
 आ आहाके बचाबके लेल
 इ झुट्ठा सरकार की
 के रोकत आब हमरा ककरा मे य दम
 आहाके प्रेम मे जान ददेब हम 
 आहा खातिर अपन प्राण ददेब हम 


साँस टुटे त टुटे मुदा आश नै टुटे 
आहा जे अपन किरिया खेलौ ओ हात नै छुटे 
आब कियो अपन बहिन आ माइ के इज्जत नै लुटे 
निफिकिर घुमे सब इ बिश्वास नै टुटे 
अगर इ टुइट जेत त किया खेलौ आहा कसम 
आहाके प्रेम मे जान ददेब हम 
आहा खातिर अपन प्राण ददेब हम 

 अखन त नेतासब नाच करैये 
अपन अपन दमके प्रवाह करैये 
अपने खुब खाइये, अपने खुब मोटाइये 
अइ बिचमे हमर आहा सन जनता चक्कीमे पिसाइये 
मुदा आइब गेल आब मुक्तिके लहर
खा लेब देशके लेल हलाहल जहर 
आब नै दिय कोइ हमरा भ्रम 
आहाके प्रेम मे जान ददेब हम 
आहा खातिर अपन प्राण ददेब हम

आशा

आशा दिनेश रसिया

जाउँ नेता जी जाउँ

आउनुस नेता जी सगैँ जाउँ
दाल भात भेटेन, मागेर खाउ
उतसव मनाउला संविद्यान पछि


पहिला आफना कुचरित्र जलाउ

कहिले खाने चिकेन कहिले पलाउ
माथि माथि धेरै बसियो
जाने अब तलाउ
बुलेट प्रुफ गाडी त भेटदैन अब
चढौँ अब कुकुर गाडीमै जाँउ

--होली विशेष गीत--

महिलाको पत्रकारितामा सक्रियता बढ्दै

जया सिंह
तालिममा सहभागी महिला पत्रकारहरु ।
लहान । जनकपुरमा महिला पत्रकार उमा सिंहको हत्या पछि तराई मधेशमा महिला पत्रकार संख्यामा कमि आएको थियो । केही समय देखि त्यो संख्यामा वृद्धि भइरहेको छ । प्रत्येक शहर बजारमा रेडियो, पत्रपत्रिकाको  प्रसारण र प्रकाशन बढेसँगै महिला पत्रकारको संख्या बढ्दै गएको छ । लहानमा भइरहेको रेडियोकर्मीहरुको क्षमता अभिवृद्धि तालिमा महिलाहरुको सहभागिताले देखाएको छ । तालिममा पुरुष भन्दा महिलाको सहभागिता बढी छ ।


गाउँघरका महिलाहरुको समस्याहरु रेडियो मार्फत वाहिर ल्याउनको लागि आफु रेडियो पत्रकारितामा आएको समाद रेडियोकी निभा सिंहले सुनाईन । उनले, पहिलो पटक रेडियो जाँदा डर लाग्थ्यो, पछि काम गर्दै जाँदा डर हराएको भनिन् । यस्तै, रेडियो सल्हेशकी कविता खापाङ्गीले, पढाईको खर्च धान्नको लागि रेडियो काम गरेको बताईन । पैसा नभएर पढन अवसर पाउँदैन्थ्यो, अहिले रेडियोबाट भएको कमाईले पढाई निरन्तरता पाएको उनले सुनाईन ।
यस्तै रेडियो समग्रमा कार्यरत रंजिता सिंहले पत्रकारिता क्षेत्र चुनौतिपूर्ण क्षेत्र रहेतापनि यसबाट छुटै पहिचान बनाउन सहजता छ । पत्रकारिताले चौतर्फी ज्ञान अभिवृद्धि भएकाले अनुभव सुनाइन ।  आफुले सुरुमा समाचार बाचिकाको रुपमा काम गरेपनि विस्तारै समाचार लेखन र कार्यक्रम उत्पादन लगायतका काम गरिरहेकोले अहिले यो क्षेत्रमा लागेर खुशीको अनुभूति भएको बताइन् ।
महिलाहरु आफु भित्र रहेका प्रतिभा, समाजमा रहेका विकृतिहरुलाई उजागर गर्नको लागि पत्रकारिता क्षेत्रमा अग्रसर भएको छ । महिलाहरुले आफ्नो परम्परा भन्दा छुटै पहिचान बनाउन चाहेर पत्रकारितामा आएको रेडियो फुलवारीकी अध्यक्ष डा. मन्जुला गिरीले बताईन । र त्यो पत्रकारितामा सम्भव रहेको उनको भनाई छ ।