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माथ पर बाइन्ह लेने कफन



रै साँस छै अपन विस्वास छै अपन
तब किये डरै छे माथपर बाइन्ह लेने कफन ।।

चौरी अपन चाँचर अपन
खेत खलिहान अपन
हुल्सैत विहान जे देख्ली स्वपन
अइमे हमर गुनाह कि
जे माइग लेली अधिकार अपन
टुइट नै जाइ सासन तै माइर देलक आदमी छप्पन
मुदा तो डरै किये छे माथ पर बाइन्ह लेने कफन । ।

रौ गुडसं मीठ अइ बोली हमर
भैर दिन रौदमे कोरी हम्हि भवँर
साँग पात सं नुन तेल तक
सब चिजमे लाबे हमरे डगर
तैयो हमहि भुखले मरि छी
अहिमे गुनाह कि जौ खोजी स्वभिमान अपन
मुदा तो डरै किये छे माथ पर बाइन्ह लेने कफन । ।

रै चुटी सन मेहन्ती हम
धरती कोइरके पहाड बनालेब
रै मौधमाछी जेना मिलके आइ हम
सब कियो हाथमे हाथ जोइरके
फुलक रससं अपन धरमे मौध मखान बनालेब
आइ नै भेलै त कि, काइल्ह कमा लेबै ने धन
मुदा तों डरै किये छे माथ पर बाइन्ह लेने कफन । ।

धुर,   डरनाइ त डरपोकके बात छै
जे डरै उकर उपर सबहक लात छै
रै दुटा बेटा हमरा है एकटा कदेबै देशक नाम
मुदा सोनसन गम्का देबै अपन मधेशक गाम
लेकिन करब नै आब गुलामी ललेने छि प्रण
तैयो तों डरै किये छे माथ पर बाइन्ह लेने कफन । ।
तैयो तों डरै किये छे माथ पर बाइन्ह लेने कफन । ।
दिनेश रसिया लहान २०७२–६–२३

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