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केहन जमाना आइब गेल





केहन जमाना आइब गेल
दिनेश रसिया

सीताके इ पवित्र भूमि,बुद्धक कहाबे पावन धाम ।
घर घर जत तिलकोर तरैये,गाछमे लटकल मिठगर आम ।
सुरबीर जै धरतीके बेटा,बुघिमानीके बढका बगान ।
लोरिक, दिनाभद्री, सलहेश सन राजाके जत नित हैय गुनगान ।
मुदा लगैये सब किछ हेरागेल, धरम हराके दुर भाइग गेल
मन नै लगैये एत मिता,देखु केहन जमाना आइब गेल ।।

अपन सृङ्गारक नै किछ पुछारी,दोसरके फैसन अछि बड भारी
अपन भाषा बनल लाचारी, दोसरके भाषामे बुझे अपन बुद्धयारी
पढल लिखल हमर बौवा, लगैये हमरा कक्हरबा फेल
मन नै लगैये एत मिता,देखु केहन जमाना आइब गेल ।।

नमस्कारपाती ओर गोरलग्गी बनल य एत कबारी दोकान
गुड मर्निङ आ सरी मिस्टर कहैमे सम्झे अपन अभिमान
गोदना, कजरी ओलक तरकारी जैन नै इ कत हेरा गेल
ट्याटु, हिपहप, पिजाबरगरके देखु बहना धलेल
मैथिली बजनाइ दुर दुहाइ, इंग्लिस कोरियनके अछि खुब मेल
मन नै लगैये एत मिता,देखु केहन जमाना आइब गेल ।।


धोती कुर्ता कत तक अछि, विवाह,मुण्डन और उपनैन
गाम अपन छोइरक घरक जमानसब ढौवालेल भेल पलाइन
धरम करमके बात हेरा गेल,घर घर पसरल दहेजक डाइन
कोशी, कमला, बलान हेरा गेल कण्ठमे उतरल बोतलक ह्वाइन
कोना कहु इ कोना कोना क बृद्धाआश्रम मधेस बनि गेल
मन नै लगैये एत मिता,देखु केहन जमाना आइब गेल ।।

2072/7/12



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