आइ लहानक पशुपति आदर्श उच्च मा. वि. मे सम्पन्न मिथिला स्टुडेन्ट युनियन नेपालक पहिल बैसार बहुत उत्साहपूर्ण रहल । सन्थााम अध्यक्ष दिनेश रसियाकृ अध्यक्षतामे समपन्न भेल जाहिमे नारायन मधुशाला, रितेश मैथिल,हृदय नारायण यादब, गायत्री सिंहा, सृजना गजमेर,अर्जुनप्रसाद गुप्ता दर्दिला,अमरेश महतो, अनिल महतो, रामदेब यादब, गजेन्द्र गजुर, तेजु मैथिल लगायतक उपस्थिति रहल छल । जैह बैसारमे मैथैलिी भाषा आ सँस्कृतिक बिकास हेतु बहुतरास कार्यक्रमके आयोजना करबाक नियार केल गेल। पहिल चरणमे हरेक महिनाक पहिल सप्ताह सैन दिके बैसार बैसक कार्जक्रमके स्वरुप निर्धारण केल जेत आ काज आगु बढायल जेत । अहिबेर नियार अनुसार स्कूल स्कूल पुइग क विद्यालयमे बौवा बुचि सभके पढाइमे मैथिली भाषाक पाठ्यक्रम समावेस हेतु अपिल केल जेत । निजी तथा सरकारी विद्यालयमे नाटक, प्रहसन, बक्तृत्वकला, हाजरीजवाफ प्रतियोगिता आदिके आयोजना करबाक निर्णय भेल संस्थाक अध्यक्ष दिनेश रसिया जानकारी करेलैन । अहि बीच विभिन्न साहित्यकर्मीके रचना, गीत, गजल, गायन तथा चुटकिलाके बैछार भेल रहे । तेजु मैथिलके आ सृजना गजमेरके स्वर सभहहक उपर जादु क देने रहे । तहिना बाहबाहीमे अर्जुनप्रसाद गुप्ता दर्दिला, नारायण मधुशाला, गजेन्द्र गजुरके कविता रहे । रितेश मैथिलके स्वर आ कमेडी सबके लोटपोट कदेने रहे ।
मिथिला स्टुडेन्ट युनियन नेपालक पहिल बैसार समपन्न
Posted by dinesh rasya
Posted on 5:36 AM
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गीत
Posted by dinesh rasya
Posted on 5:45 AM
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सब बीत गेलैय दिन
सुख चैन लेलक के छिन
जिन्दगीमे बिना अहाके
पहाड भेलै जियल....
सब बीत गेलैय.....
बितल जेठक गर्मी
उडल ठोरक नर्मी
साथ अहाके बिन साजन
तरपैये पाइन बिना मछरी
सब बीत.......
सावनमे नचै कोना मोर
चर्कैय हिया बरी जोर
मुदा रुसल सजना
तकैयेने हमरा ओर
सब बीत...
देखै छि हम बाट अहाक
देखु बिते नै दिवाली छैठ
घाट पर यौ बालम
सगँे मांग्बै अपन ललनमा
सब बीत गेलैय ....
सब बीत गेलैय दिन
सुख चैन लेलक के छिन
जिन्दगीमे बिना अहाके
पहाड भेलै जियल....
दिनेश रसिया
२०७२/८/ ९
उडल ठोरक नर्मी
साथ अहाके बिन साजन
तरपैये पाइन बिना मछरी
सब बीत.......
सावनमे नचै कोना मोर
चर्कैय हिया बरी जोर
मुदा रुसल सजना
तकैयेने हमरा ओर
सब बीत...
देखै छि हम बाट अहाक
देखु बिते नै दिवाली छैठ
घाट पर यौ बालम
सगँे मांग्बै अपन ललनमा
सब बीत गेलैय ....
सब बीत गेलैय दिन
सुख चैन लेलक के छिन
जिन्दगीमे बिना अहाके
पहाड भेलै जियल....
दिनेश रसिया
२०७२/८/ ९