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हकार


   हकार
                        दिनेश रसिया
         
             

स्वागतम अछि हे अथिति गण इ पुण्यभुमी मधेश मे
आदर करैत छि हम यज्ञ भुमी मा सीताके नैहर मे
हम रहै छि जत उ अछि पृथ्वीपर उपहार
एक बेर आइब क देखु पाहुन बाइट रहल छि हम हकार ।।

यज्ञ भुमि इ शान्ति भुमि अइ ,शान्तिके पुजारी हम
दर्दमे किन्को देखक भ जाईत अइछ आइख इ नम
धरती चिरक अन्न उगाबी बाहमे हमर अते अछि दम
मन हमर अछि ऐना जेहेन भाषा हमर अतेक अछि नम्र
इ कोनो घमण्ड नै ,अछि इ हमर सरल व्यवहार
एक बेर आइब क देखु पाहुन बाइट रहल छि हम हकार ।।

स्वागतमे रखने छि हमसब माछ,मरुवा,पान,मखान
घर घर सुनाबे कोइली अत विद्यापतिके मधुर गान
धोती कुरता पगरी आ पान,घर घर अइछ प्रेमक दुकान
भुखल रहै छि हरदम पाबैलेल अपन सम्मान
इ कानो झुठ नै ,नै कोनो अछि व्यापार
एक बेर आइब क देखु पाहुन बाइट रहल छि हम हकार ।।


पाहुन अछि हमर लेल महान
जेना सिताके पाहुन श्रीराम
सबस सुन्दर मिथिला धाम
विश्वमे नामी जनकपुर गाम
माँ जानकी के करी प्रणाम
हम कतेक एकर करी बयान
अपने देखलेल भजाउ तयार
कियाकि।।।
एक बेर आइब क देखु पाहुन बाइट रहल छि हम हकार ।।
एक बेर आइब क देखु पाहुन बाइट रहल छि हम हकार ।।

शुभ दिपावली


शुभ दिपावली
 दिनेश रसिया 
Dinesh Rasya
जनता आ नेता के अपने ताल
एक एक कइर बितै अइछ सब साल
लोकक छै अपने ताल
गरिबक के जनै हाल
चौक चौक पर करै य भासन खाली
हमर तरफ सँ शुभकामना शुभ दिपावली

घाँसपातके बढल अछि दाम
युवा सबके नै अछि कोनो काम
रोज रोज सब जाई अछि विदेश
कोना आगा बढत अपन ई देश
नोकरीमे चलैय घुसक तबाही
हमर तरफ सँ शुभकामना शुभ दिपावली

शान्तिके स्थापना करु सबहक अइछ बोल
संविधान निर्मणके चलल अइछ होर
मुदा बड बड नेतासब अइछ बिधान चोर
जागु युवा करु संविधान बहाली
हमर तरफ सँ शुभकामना शुभ दिपावली ।

मनक इच्छा पुरा हुवे पूर्ण हुवे सब काम
जगमे अहुके हुवे बडका नाम
माँ लक्षमी नै हुवे कहियो बाम
खुशिया मिले आहाके तमाम
नेपालो मे हुवे अपन नव संविधान
सब जनतामे बढे खुशहाली
हमर तरफ सँ शुभकामना शुभ दिपावली ।


चुनाव आ जनता

     चुनाव आ जनता
             दिनेश कुमार दास
संविधान सभाके आइब गे अइछ चुनाव
डगमग डोले सबबहक नाव
नेतासब घुमे गावं–गावं
सबकियो भोटके करे तनाव
नेतासब देखे सपनामे सत्ता
नाचैत नेताके देखे चुनाव आ जनता

लागल अइछ व्यवहारक मेला
नेता मदारी देखाबे खेला
गाऊ–गाऊमे जनसागरके रेला
मुहलगुवा सब नेताके चेला
चुनावक बाद नै रहत ककरो पत्ता
नाचैत नेताके देखे चुनाव आ जनता

एक एक भोटके अइछ बहुत मोल
पैसामे नै करु एकर नाप तोल
कहैय समैय खोलु आइखक पर्दा
आहा नै बनु सडकके गर्दा
चुनव सही नेता जे करे जनताके मान
जेकर पर हम सब करि अभिमान
देखब आहा सब नै भ जाइ कोने गलती
बहुत सत्ताखोर सबहक अइछ बड चलती
सही उम्मेदवारके लगाबु पता
नाचैत नेताके देखे चुनाव आ जनता
2070/7/27

hindi sayri-dinesh rasya

देखै छि जे हेतै आब सुहन्गर भोर
मुदा अचकेमे सरधुवा ढाइर दैय इन्होर ।
थोरबे देरमे ढोलहा पिटा गेलै सब ओर
छनैहमे लगैय शरिरमे प्राण नैहि अछि थोर ।।

मरकर जीने से अच्छा,
जी कर मरो

कल तो सभी करते है, तुम आज करो ।


आप तो युहीँ मेरे तारिफमे लगे रहते हाइ
जिसका मै काबिल नहि ।
असली मसिहा तोँ आप है
जिनके आगे कोइ काबिल नहि ।

झुठे तो सारी दुनिया है जिुका मोहताज हम नहि
यूँ तो सारे सम्झते हैँ मुझे जिसका मुझे गम नहि ।।

ये तो मौसमका करामत है कि हमारे भी तनपे कपडे है
वरना ये इश्कने साला हमे फकीर बनाके छोडा ।

जिससे मेरी जिन्दगी आवाद थी
ओ बेकल रहे तकदीरके लिए ।
ओ लुटता रहा मजा जिन्दगी की
और हम तरस गये एक तस्बीरके लिए ।

सागर थी मेरे पास प्यासे थे हम ।
खुश थी ओ धर बसाकर औ मेरे आँख थी नम ।।


ओ कहती रही तुम मुझे ही क्यो कोस्ते रहते हो ।
हमने कहा कि जो आप मिठा होता है ज्यादा चोट उसे ही परती है ।

आप तो खुश किश्मत है कि आपको फकीरने बोल दिया
साला ये इश्कने हमको ही फकीर बना दिया ।

हम झुठ बोले इसकी कोइ आस नही
कम्बक्त लोगोको अब हमपे विश्वास नही ।।


हारको एतराने दो उसके आने पे ।
हारतो शर्माएगा युँ मुश्कुराने पे ,
जमाना तो ठहरता नही कभी एक जगह पे,
कभी हम भी सफल होंगे पैमानेपे ।


तुमतो खुश हो मेरे नाम से
हम खुश है तेरे काम से
लोग कहते है कि सन्की है हम
किसीको भी बुला देते है तेरे नाम से ।।

...गजल....

सब दिन सुनलौ अपन देशमे गन्दगी भरल छै आइ पता चलल कि देश हमर ई बन्हकी परल छै । सबठाँ लगैछै मीता हरियर कंचनसन मुदा एखनोधरि मधेशके मन जरल छै । गरिब निसहाय एखनो दिन कटैछै कानि-कानि मुदा देशक नेताके खाली जेबी भरल छै । हक अघिकारके हनन त बीत बीत पर छै एहिठाँ चस्मा खोलिक' देखबै त पता चलत जे सबहक मोने सडल छै । अपन मातृभाषा व मातृभूमिक बचाबै लेल निकैल चुकल छै रसिया तें त एकर नाम एहि दुनियाँमे पागल रखल छै ।।
2072/9/28 saugat fm lahan
प्रदेशक सनेश

सागरके झीलमे उतरल अछि जीवन
झिझियाके झिहिर झिहिर सुनाइये
कखनो अपनसन कखनो आनसन लगैये
मुदा सतरंगी अहि जीवनमे सब किछो बिरानसन लगैये

दिक सिक निक छल अपने घरमे
एत सब किछ परेसानसन लगैये
दिन त गिनौह नै सकैछि प्रिये काममे
राइतक आहाक याद किछ भियौनसन लगैये ।।

उजरल मोनक बागमे कोयल नै कुहकैये
जारक कनकनीसन शरीर पुरा हिचकैये
दिनमे सोचै छि कि चैल जाउँ अपन घर घुइरक
मुदा बाबुजीक कर्जाके बोझ कपारेपर टङल लगैये ।।

कुहरै छि राइतके बोखारसं
सेठक बोली पहाड सन लगैये,
सुन्बैले बहुतबात अछि हमरा
मुदा देहमे नै प्राणसन लगैये ।।

दिनेश रसिया 23/9/072