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hindi sayri-dinesh rasya

देखै छि जे हेतै आब सुहन्गर भोर
मुदा अचकेमे सरधुवा ढाइर दैय इन्होर ।
थोरबे देरमे ढोलहा पिटा गेलै सब ओर
छनैहमे लगैय शरिरमे प्राण नैहि अछि थोर ।।

मरकर जीने से अच्छा,
जी कर मरो

कल तो सभी करते है, तुम आज करो ।


आप तो युहीँ मेरे तारिफमे लगे रहते हाइ
जिसका मै काबिल नहि ।
असली मसिहा तोँ आप है
जिनके आगे कोइ काबिल नहि ।

झुठे तो सारी दुनिया है जिुका मोहताज हम नहि
यूँ तो सारे सम्झते हैँ मुझे जिसका मुझे गम नहि ।।

ये तो मौसमका करामत है कि हमारे भी तनपे कपडे है
वरना ये इश्कने साला हमे फकीर बनाके छोडा ।

जिससे मेरी जिन्दगी आवाद थी
ओ बेकल रहे तकदीरके लिए ।
ओ लुटता रहा मजा जिन्दगी की
और हम तरस गये एक तस्बीरके लिए ।

सागर थी मेरे पास प्यासे थे हम ।
खुश थी ओ धर बसाकर औ मेरे आँख थी नम ।।


ओ कहती रही तुम मुझे ही क्यो कोस्ते रहते हो ।
हमने कहा कि जो आप मिठा होता है ज्यादा चोट उसे ही परती है ।

आप तो खुश किश्मत है कि आपको फकीरने बोल दिया
साला ये इश्कने हमको ही फकीर बना दिया ।

हम झुठ बोले इसकी कोइ आस नही
कम्बक्त लोगोको अब हमपे विश्वास नही ।।


हारको एतराने दो उसके आने पे ।
हारतो शर्माएगा युँ मुश्कुराने पे ,
जमाना तो ठहरता नही कभी एक जगह पे,
कभी हम भी सफल होंगे पैमानेपे ।


तुमतो खुश हो मेरे नाम से
हम खुश है तेरे काम से
लोग कहते है कि सन्की है हम
किसीको भी बुला देते है तेरे नाम से ।।

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