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प्रदेशक सनेश

सागरके झीलमे उतरल अछि जीवन
झिझियाके झिहिर झिहिर सुनाइये
कखनो अपनसन कखनो आनसन लगैये
मुदा सतरंगी अहि जीवनमे सब किछो बिरानसन लगैये

दिक सिक निक छल अपने घरमे
एत सब किछ परेसानसन लगैये
दिन त गिनौह नै सकैछि प्रिये काममे
राइतक आहाक याद किछ भियौनसन लगैये ।।

उजरल मोनक बागमे कोयल नै कुहकैये
जारक कनकनीसन शरीर पुरा हिचकैये
दिनमे सोचै छि कि चैल जाउँ अपन घर घुइरक
मुदा बाबुजीक कर्जाके बोझ कपारेपर टङल लगैये ।।

कुहरै छि राइतके बोखारसं
सेठक बोली पहाड सन लगैये,
सुन्बैले बहुतबात अछि हमरा
मुदा देहमे नै प्राणसन लगैये ।।

दिनेश रसिया 23/9/072

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