Powered by Blogger.
Home » » औंरीे पर गनल पबनी

औंरीे पर गनल पबनी



कतेक छोट अछि जीन्दगी
तैमे औंरीे पर गनल अछि पबनि

साउनमे आयल नाग पञ्चमी
गोबर सं घर आङ्गन निपेली
नब बासनमे बनैये दुध लाबा
मन्तर पढैय धामी बाबा
राइत भैर करैय साँप धङ्ग्नी
औंरीे पर गनल अछि पबनि ।।

चौबिस दिन बाद अछि रक्षाबन्धन
कच्चा धागामे अछि बहुते दम
भाइ बहिनके अछि इ बड पबनि
मनबैये लक फूल, पान,बखान तखनी
औंरीे पर गनल अछि पबनि ।।

राखी आठे अष्टमी अन्हार
कृष्णजी आइ लेता अवतार
झुमैये अखन धरती गगन
औंरीे पर गनल अछि पाबैन ।।

अष्टमी दशे अछि चौरचन
धियापुता सँग बुढबो अइ मगन
खिर पुरी पर सबहक मन
चन्द्रमा के पुजा होइत अछि भौर आङगन
औंरीे पर गनल अछि पाबैन ।।

चौरचन बिसे अछि जितिया
बाबु सँगे खुस अछि पितिया
जितिया पाबैन बड भारी,
धिया पुत्ताके ठोइक सुताबे
अपना खाइये भैर थारी अछि इ कहबी
भोरबाके खाउ घेरा पात पर चुरा दही
धिया पुता कनिया रहैय सब मगन
औंरीे पर गनल अछि पाबैन ।।

जितिया दशे अछि दशैँ
दश दिन तक घरेमे बैसैइ
डाइन जोगिन पर नै अछि भरोसा
टोना टापरसं डरैके छोरु आशा
नब दुर्गाके अछि नौ रुप सजनी
खसी बोका कटैये अइमे खुब अखनी
औंरीे पर गनल अछि पाबैन ।।

दशै बिसे अछि सुक्राती
घर–घर बरैये दियाबाती
लक्ष्मी जी आब के सबके घर घरमे जाइउे बैठ
सुकराती छबे होइये छैठ
पुजाइये अइमे साँझ आ भोरक सुरुज
ठकुवा भुश्बा केरा मन परैये खुब
अइके बादो अछि बहुते पबनि
कतेक छोट अछि जीन्दगी
तैमे औंरीे पर गनल अछि पबनि ।
औंरीे पर गनल अछि पबनि ।।
2069-7-5
dinesh rasya

0 comments:

Post a Comment