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दुुनुु बेटा त अपने केकरा लके किरिया खाउ ?



लोग कहैये कि भेलौ वे
कथिले तुुं छे उदास
दुुनियाके खुुशी तोरे लग छौ
सब किछुु छौ तोरे पास
हरदम तोहे आस करै छे
सब पर तो बिस्वास करै छे
किछो ने तोहरसे अलग छौ,
बाज ने गे किये चुप छे तों

मुदा हम कि बाजु ? आ कत जाउ
दुनु बेटा त अपने
केकरा लके किरिया खाउ ?



अखन हमर अस्तित्व बिकाइ ये
घरमे खुन्क धार बहैये
देखक लभ कुशके झगडा
दुुनिया दाँते आङगुर कटैये
एकके बुोधी दोसुर कनैये
कहैये तों छि ओकरे पास
मुुदा हम कि बाजु रे बाउ
दुुनुु बेटा त अपने

केकरा लके किरिया खाउ ?



बिचे धरमे भित परल य
सौंसे देहमे कांट गरल य
भाला बरक्षी के देख लडाइ
हकन बिकन हमर मोन कनै ये
सोचै छि हम केकरा लङ रह जाउ

दुनु बेटा त अपने
केकरा लके किरिया खाउ ?



छोटे सही मुदा मोनमे आश
अखनो अछि बाँकी
खुन सं लतपत हम
अखनो एकटा सहारा ताकी
फेर सं आबे बेटा बुद्ध,
धरती चीरक निकले सिता
हाथी पर आबे बेटा सलहेश
आ तोइर दिये घरक बिचला भित्ता
फेरसं हम इ जरल समाजमे
अरिपन सं घर अपन सजाउ

दुुनुु बेटा त अपने
केकरा लके किरिया खाउ ?




दिनेश रसिया लहान २०७२–५–१५.....१ सेप्टेम्बर २०१५

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