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।। कजरी ।।




कोयलिया कुहु कुहु गीत सुनाबे
हमरो हिया हुलसाबे ना २
गे बहिना हिया हुलसाबै ना
पपिहरा पिया पिया कहिके जगाबे
हमरो मन तरसाबै ना
कोयलिया ......

एक त राजा बसन्तक मौसम
बहके इ मनमा ना २
दुजे बैरीन पियाके सपनमा २
आगी जरबे पवनमा ना
कोयलिया कुहु......
हमरो ......

दिन भरि काजमे थाकल देहिया
टुटै इ शरीरिया ना  २
रातिक नैना नेह निहारै २
आबै नै निन्दिया ना
कोयलया .....
हमरो ....

ब्यर्थे बितै इ हमरो जीबन
बुझियौ बिवस्ता ना २
अपने जौ परदेश रहब यौ २
कोन काजल देहिया ना
कोयलिया .....
हमरो .....

दिनेश रसिया २०७३,२, १८ लहान

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