पियाजी बसै छैथ जाके बिदेश
दुर्गति कहु कोना भेजु सनेश
पिया जीबसै छैथ ......
पापी पपिहा तन मन झक्झोरै
पियाके शब्द सुनअ मन हिलकोरै
सुधि नइ देहक, भाबे नहि भेष
दुर्गति कहु कोना भेजु सनेश
पिया जीबसै छैथ ......
झरिगेल आम, गुजरि रहल महुवा
सोभै नहि टिकुली , गहना नौउवा
रातिके छातीमे फाटैये कुहेश
दुर्गति कहु कोना भेजु सनेश
पिया जीबसै छैथ ......
छोरु पिया छोरु धनकेर आशा
साग खायब,रहब, हृदय पास
लोग बैध पुरा करथि महेश
दुर्गति कहु कोना भेजु सनेश
पिया जीबसै छैथ ......
दिनेश रसिया २०७३,२,६,5
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