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#कविता #जीनगीक बाटमे


#कविता#जीनगीक बाटमे


नचबै छै जिनगी,
तैँ हमरो नाचS परतै ।
लहास परल भूँभूँर आइगमे,
अछियामे फेर आँचS पडतै ।।

जीवन कखनो मरुभूमि छै,
कखनो जोतल खेत ।
मरुभूमिमे गाछ लगा,
खेत फेरो गजारS पडतै ।।

जीवनमे मृत्यु सत्य थिक,
ओहमे सत्य बुढापा ।
जिवनक अहि खेलके,
कखनो उसारS पडतै ।।

माइ बाबु वा अर्धाङ्गनी
कि बेटा कि बेटी ।
एक दिन नैया बीच भँवर सS
असगरे गुजारS पडतै ।।

ऐलौ खाली हाथ एत
जायब किछ नै लधने ।
कए किछ निक करम
जीनगी धन्य बनाबS पडतै ।।

#दिनेश रसिया
२०७३,३,२१

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