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गजल

गजल आगामें भीड़ देख लोग नुकाइ छै ।
पैसाके आगा प्रेम नै सुझाइ छै ।

लुच्चाके बातकी विद्वानों छै सनकल
बेरे बखतमे संसार चिन्हाइ छै ।

बेटा मरल त पुतहु बनल बिधबा,
अपनले बुरहोमे बरतोहार खोजाइ छै ।

टाँगल छै नेह सगरो खुटरी देबालमें
खीजे गहूमक सेतुवा पिसाई छै ।

सुचना पठेबाक लेनेछै जे ठेक्का
कहियोकाल ढौवाले ओहो बिकाइ छै ।
दिनेश रसिया 2073/3/30

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