Powered by Blogger.

++++गजल++++

Dinesh Rasya

++++गजल++++


फुल सटल रहैछै काँट लगाके ।
पानि बहबो करैछै बाट लगाके ।

बाँसक पत्ता आ कर्ची जोगाब सs निक,
पुरा बिटेके घेर लियs टाट लगाके ।

इ जिनगीमे राइत भोर हेबे करै अछि,
सब तरहक आनन्द लियs खाट लगाके ।

आनबै तs भोर हेतै  मिथिलोमे मीत,
नबतुरियोके चला दियौ लाट लगाके  ।


देख रिती समाजक मोनमे भोकैए सूल
इज्जत बेच रहल लोक एत हाट लगाके ।

झुठे स्वाङ्ग धेने छी ,खार बना काम के
कारी कम्मर खिचै छी अहाँ घाट लगाके ।

अहाँ कुम्हरा आ चिकनी माइट रसिया
अहाँ बर्तन बना लिया पाट लगके ।

Dinesh Rasiya 2073/3/17

0 comments:

Post a Comment