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रचना - GeeT

रचना  - GeeT


दुखके ढेकीमें कुटानी करब
चिंताके जत्तामे पिसानी करब
मेहनत करब खुब अपन गाममे
मिथिलेमे जाक मेहमानी करब

खर्रा ढाकील पात खर्रब फुलबारीमे
झिझिया खेलब सलहेशक अगाडीमे
मिलक दीपो जरायब सगें इद दियारीमे
फुट कहियो हेतैनै कखनो  भैयारीमे
अपन पहिचानमे नै कहियो परेशानी करब

माजि झुटका बनायब सोन चौरी चाँचरमे
पानिक फूल मखान सुखायब मायक आँचरमे
सोनसन भोर आन राजा जत हर जोतैय
नजर गुजर भाइग जाइ बौवा आइखक काजरमे
खेल खेलब हम कबडी कबडी खेतमे पहलमानी करब


काम भेटतै खुब गाममे, जौँ सिखब अपन शीप
पानि भरले बासन चाही तेल भरले टीप
अपन दुनु पैर जमाके राखब जौ आङ्गनमे
पिछर हुवे चाहे चाल हुवे होयबनै अहाँ सिलिप ।
मिथिलामे रोजगाडी बढब, नै कखनो बैमानी करब ।

दिनेश रसिया
2073/4/2

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