Posted by dinesh rasya
Posted on 4:54 AM
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***मनकौबला***
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ओकरा देखलौ
लागल जे प्रेम भगेल
फेर देखलौ
वाहवाही सन लागल
ओकरा बुझलौ
अगबे दर्द मिलल
सहके प्रयास केलौ
निरासा मात्र पेलौ
लडबाक प्रयास अछि
सब पागल बुझैये
मुदा हम नै हारब
इ दहेज सं
से मनकौबला अछि ।
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दिनेश रसिया
२०७३/०८/१
लहान
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