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कर्मक फल

एक देशमे एकटा साहुकार रहैत छलाह । साहुकार बहुत पुण्य आ प्रतापी छलाह । साहुकारके पत्निक नाम प्रमिला छलि । ओ दुनु प्राणी नितदिन अपन काज सम्पन्न कए, साधुक सेवामे लिपत भ जाइत छलैन । साधुक आज्ञा हुन्कालेल लक्ष्मण लकिर छल । अशि क्रममे दिन बितैत गेल आउर साहुकारक पत्नि प्रमिला गर्भवति भगेली । साहिुकार एकदम प्रसन्न भेल । उद्यम बधैया बाज लागल । किछु दिन पश्चात दुनु प्राण्ी साधुस भेट कर आश्रम पहुचल । प्रश्रव पिडा सेहो जोर भगेल रहै ।
ओ सब आश्रम पहुचल आ प्रमिला माँ बनि गेलिह मुदा शिशुक जन्म होइते देरी साधुबाबा बच्चाके पोखरी महारपर गाडि एबाक निर्देसन देलैन । साहुकारके जिज्ञाशापर कहलैन जे अपने चिन्ता ज’ििन करि समय आयत त अपनेक बच्चा फिर्ता क देब । तहन सहमैत साहुकार बच्चाके पोखरिक महारके एकटा कोनमे जाक गाडि देलक । समयके चक्र चलैत गेल साहुकारके जममा चारिटा बेटा भेल आ चारुटाके वहि गति । अन्त्यमे साहुकार पुछलखिन बाबा आब कहु हम कि करि, आब त हमर तीनपन सेहो बित लागल अछि । तहन साधु कहलखिन आहा आजु मध्य रातिमे  महार पर जाउ, अपन बेटा सबके बातचित नुकाक सुनु आ हमरस भेट करु । साहुकार अपन काजक हेतु निकैल गेलाह । साझ परल , निसिभाग रतिधरि इन्तजार केलाकबाद कनि कनि आवाज सुनाय लागल ।
सबस पहिले जेठ बेटा बाज , भाइ उठै जाइजाउ आअ पन बदला याद केल जाउ । जे हमर आहाक भविष्यक नियार छैै ।
माझिल बाजल, भैया तोहे कह ने कि नियार केने छह?
जेठकाः भाइ देखी इ साहुकार पछिला जनममे हमर बहुत श्रृणलेने छल आ बिना चुक्ता केनैह मैर गेल , तैँ हमरा जहन ओ पोइसपाइलक जवान करत तहने हम मैर जेबैइ ।
अते बात सुइन्ते साहुकारके होस उइर जाइये मुदा ओ अपनेआप पर काबु करैत फेर ध्यानसँ कुन लगै
तखन मझिल भाइ बाजलः से त इ हमरो कर्ज वापस नै केने अछि। तैँ हमहु जवान होइते मैर जेबैइ ।
तखने टपसँ सझिला बाजल जे हमर त जमिन बैमानि केने छल तैँ हम ओकर जमिन बिकायेके छोरब, आ घुरि जायब ।
सभकबाद छोटका बेटा बाजल जे भाइ हम त ओकर घरमे नोकर रहियै आ हम ओकर घरक नुन खेने रहियै । तैँ हम हुन्कर खुब सेवा करब आ बुुढ धरि साथ निभायब ।
अते सुनैत धरि साहुकार आँखि नोरसँ डबडबा गेल ।
साहुकार आपन घर घुमि येलाह । तीन पहर राति त बितये चुकल छल । बाँकी समय सेहो आँखि बन्द लहि भेल । भेर होइते देरी साहरकार पुनः आश्रम दिस पस्थान केलक । आश्रम पहुचते साधुक पैरपर गिर गेल । राति बितल वृतान्त सुनेलक । साधु बाजल आब कि करबह से कह?
साधुक अहि प्रश्न पर साहुकार हुन्का मार्गनिर्देशन करवाक आग्रह केलैन ।
ताहिँ पर साधु बाजल जे अहि जन्मके सफल कर चाहै छि कि आर जन्म सभके ?
सहुकार कहलैन जे हमरा आगाक हर जन्म सफल करबाक अछि । साधु कहलैन जे आँहा हर बच्चाके घर ल आनु आ निक सँ पालन करु ।
म्ुदा ओ त अल्प आयु छैन साहुकार बाजलैन ।
हँ त कि भेलै आँहा आन कर्म करु फल त भगवान देत । आँहाक पूर्व जन्म अखनधरि पाछा नैहि छोडने अछि, अगर आँहा अगर इहो जन्ममे अपन कर्ज नै उतारै छि त इ आगा जा क इ आउर भयावह स्थिति भ जायत आ जन्मोजन्म धरि पाछा नहि छोरत । तै आँहा सभके ल आनु आ पालन पोषन नि सन्देह करु, तहन आँहाक जिवन धन्य भ पायत आ पाप सँ मुक्ति पायब । अते सुनैत साहुकार साधुके नमन करैत, चारु बच्चाक उखारि अपन घर गेल आ पालन पोषनमे लाइग गेल ।

गीत


स्वार्णिम युग निर्माण करअ लेल,
डेगआगा बढाउ मिता ।
इतिहास बनत अपनैह रचने,
गीत एकैहटा गाउमिता ।

सीता सलहेश और अयाची
नाम धरा आगा बढू ।
अपनैहजलू, अपनैह तपू
अपनैहसं स्वर्ण सिंहासन गढू ।
छि रथ अहाँ मिथलेशके
से जनजनके बताउमिता  ।

सागर अहिकेर पाउमे,
हिमालयके शिरमे पाग अछि ।
उज्जवल करी परिधानके,
समयधारके इ माग अछि ।
विद्यापतिके पौत्र छि से
से नाम नहि नुकाउ मिता ।

गगन मण्डल भू–धरा
पावन भूमि मधेश ऐ
मिथिलाक गौरब भूमी जे
से कहा रहल विदेश छै
मायक छातीपर चिरल
रेखाके अहा मिटाउ मिता ।
२०७४–२–४
Dinesh Rasya

गजल

गजल
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ओकरा ताकैत रही हम आ ओ ताकैत रहे हमरा ।
छुछे अपसियात रही झामर भगेल देहक चमरा ।

एक त बर्ष दिनके पाबैन उपरसं फुलवारीक भीड
फुलमे भरल सुगन्ध अनेक लौटैत देखलौ भँवरा ।

सिखल सिखायल नै देखल देखायल रुप हुन्कर
पछवरिया हावा देखैते लागल खटगर अमरा ।

बाह्र बिध्हाक रहे ओकर मोनक परती
धुर कट्ठे रहे हमर मोनक कमरा ।

इनकलाब केलक रसिया ओकर प्रेममे
सिधासाधा रही आब लोग बुझे बमरा ।
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दिनेश रसिया
२०७३–१२–२४
+++गजल+++
बीत बीत पर पाप एत, डेग डेग पर काँट छै ।
बौका बन्ल लोग सब, जोरगरहेके साँठघाँट छै ।
बेलन, लेहिया औ कराही चुल्हीपर अडयौने
भुखल दुल्ही नै बिछौने ताइक रहल बाट छै ।
झुल्नी पर चिलहारैत चिल्का, सापुत नै मुहके
दु–टघार दुध लेल मायक छाती खोँट छै ।
सुलीपर टाङगल चिरै तोइर रहल बपरहाइर
जानक मोजर किछु नै सब किछु बनल नोट छै ।
आब रसिया करतै कि कोनो जोगार
बीच घरमे भीत बनल भायक एगो फाँट छै ।
दिनेश रसिया २०७३–११–१२

+++गजल+++

+++गजल+++
हमरे चिताक आइगमे अपन गहना बना लिहे ।
नेहक भिजल नोरसं अपन हृदय कना लिहे ।

हमर एके सेहन्ता खुब राज करै तू
छातीप भला राइख हमर ना जना लिहे ।

हमर सिनेह बाँतर हौ तोराले जखन,
तुलसीक गाछ रोपल हमर सारा खना लिहे ।

पागल छियौ कम तोहर नेहक फिराकमे
परती परल मोन कनी कादो सना लिहे ।

पिपलके निचा फेकल दुलफीके फूलसन
भिजौ जखन भितर आब मोनके मना लिहे ।

दिनेश रसिया
२०७३–११–११






***मनकौबला***

***मनकौबला***
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ओकरा देखलौ
लागल जे प्रेम भगेल
फेर देखलौ
वाहवाही सन लागल
ओकरा बुझलौ
अगबे दर्द मिलल
सहके प्रयास केलौ
निरासा मात्र पेलौ
लडबाक प्रयास अछि
सब पागल बुझैये
मुदा हम नै हारब
इ दहेज सं
से मनकौबला अछि ।
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दिनेश रसिया
२०७३/०८/१
लहान 

++गजल++

++गजल++
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दुनियाक दसतुर केहन नै पुुछु मित ।
दुनिया मजबुर केहन नै पुछु मित ।

चिलका चिलहौर पाइर कनै चौगमामे
माइ–बाप बेशुर केहन नै पुछु मित ।

सोनक जे खाइन छै, तकरा नै माइन छै,
बेटे तिनुुपुर केहन नै पुछु मित ।

धनक बखारी कि, महल अटारी कि,
घमन्डेमे चुर केहन नै पुछु मित ।

जगक भुँवुँरमे फसल छै रसिया,
लक्ष्य कते दुर केहन नै पुछु मित ।

२०७३/०७/३०
Dinesh Rasya
Lahan