फगुआके मदमस्त दिनमामे कमाल भेल जाय
गोरीके वानि देख सैकडो हलाल भेल जाय॥

तै परसँ केने सोलह श्रङ्गार॥
घरसँ जौ निकले गोरी,
ऐठ ऐठके जौ चले गोरी॥
सबकऽ हाथमे रङ्ग-अबीर-गुलाल भेल जाय
फगुआके मदमस्त दिनमामे. . .
हेयौ बुढबा कि छौडा की?
लाज सरमके लेनै छै पी,
पीबकऽ भाङ्ग,धुधुर-तारी,
सब मिल मारै पिचकारी॥
उजर चुनरी रङ्गसँ पियर लाल भेल जाय
फगुआके मदमस्त दिनमामे...
@Vidyanand Bedardi,Radio Chhinnamasta FM 101.4 MHz.
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