![]() |
विवाह |
दिनेश रसिया
विवाह दु गोट आत्माके मिलन अछि
नव वर बधु जैहमे परैत अछि
जन्मल संसार छोईर सासुर बैस जाईत अछि
लेकिन भगवान बेटिये के किये इ दिन देखाबैत अछि
बिवाहक ओइ जोडीमे नव घर बसाउँत
इहे आश ल अगाडी बढैत अछि माई बाप
ओही जोडीके बीचमे ल पिसाबैत अछि समाज
दहेज रुपी कङ्खनामे जरैत अछि समाज
घरक ओही झोलमे खसबैत ओ तेल
मरबा सँ घुरैत अछि वर होइत नई अछि मेल
समाजक ई गन्दगी सँ बैच जाईत जौ कोई
साशुरमे आईग लगा हुन्का माइर दैत अछि ओ
केहेन विपत्तीमे फसल अछि इ समाज
बिवाह बन्ल अछि ढौवा कौरीके बजार
ई बिवाहके कनङ हेतै उधार
जगु यौ युवा करु दहेजक प्रतिकार
0 comments:
Post a Comment