आखर आखर जोइर जोइर क बना लिय दु पाति ।
हरियर डाइरपर बैसल सुगा गाबे नित् पराती ।।
सोहर,सम्दाउन, लग्नी झिझिया पसरल कोनेकोन,
अपन संस्कृति जोगाब मिता बाइर लिय एक बाती ।।
निरिह बनल छै समाज एत् दोसरके व्यवहारसं,
छोरु उच निचके भेद, बैन जाउ सब...
।। कजरी ।।
Posted by dinesh rasya
Posted on 6:19 AM
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कोयलिया कुहु कुहु गीत सुनाबे
हमरो हिया हुलसाबे ना २
गे बहिना हिया हुलसाबै ना
पपिहरा पिया पिया कहिके जगाबे
हमरो मन तरसाबै ना
कोयलिया ......
एक त राजा बसन्तक मौसम
बहके इ मनमा ना २
दुजे बैरीन पियाके सपनमा २
आगी जरबे पवनमा ना
कोयलिया कुहु......
हमरो ......
दिन...
गजल
Posted by dinesh rasya
Posted on 8:54 AM
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कनकनीमे ठरल पाइन इन्हेर नै भ जाइ ।गरिबक घरमे कही कतौ भोर नै भ जाइ ।।मुह त सिबक रखनैये छै सोसकसब,सियल मुह फेरसं कही जोर नै भ जाइ ।एक साँझ भुखले रहै छि मिता अखनो हम,धियापुताक दशा देख मनकही अघोर नै भ जाइ ।अपन बात राखैयोके स्वतन्त्रता नै देखै छी,स्वतन्त्रताले माहुुरसन...
गीत
Posted by dinesh rasya
Posted on 10:20 AM
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पियाजी बसै छैथ जाके बिदेश
दुर्गति कहु कोना भेजु सनेश
पिया जीबसै छैथ ......
पापी पपिहा तन मन झक्झोरै
पियाके शब्द सुनअ मन हिलकोरै
सुधि नइ देहक, भाबे नहि भेष
दुर्गति कहु कोना भेजु सनेश
पिया जीबसै छैथ ......
झरिगेल आम, गुजरि रहल महुवा
सोभै...