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************ गजल****************

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************ गजल**************** अहाँ हमरासँ एना सदैत रुसल रहै छी किए ? कखनो देखी नै अहाँकऽ हमरा कल्पबै छी किए ? नैन ताकैत रहैए सगरो अहिँके हरदम, हमरा छोड़ि अहाँ परोछेमे रहै छी किए ? नाता जोड़ि लेने छी की दोसरसँ अहाँ, आई काल्हि हमर बात नै बुझै...