चल गे बहिना कनिया देखैला
हे कहादैन बड निक कनिया
लौलकै य टुनटुन बौवा
कहाँदुन बिना तिलकेके
बियाह भेलौये
गै तोरा केना मालुम भेलौवे ?
mithilak ek got kharab parampara antya dish deg badha rahal (Pic: Gayatri singh)
तोरा नै बुझल छौ
कमरो बौ बराती गेल रहै
ओ त ओकरे...
हमरबौवाके कनिया (गद्य कविताः एगो छोट प्रयास
Posted by dinesh rasya
Posted on 5:33 AM
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