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हमरबौवाके कनिया (गद्य कविताः एगो छोट प्रयास

हमरबौवाके कनिया (गद्य कविताः एगो छोट प्रयास
चल गे बहिना कनिया देखैला हे कहादैन बड निक कनिया लौलकै य टुनटुन बौवा कहाँदुन बिना तिलकेके बियाह भेलौये गै तोरा केना मालुम भेलौवे ? mithilak ek got kharab parampara antya dish deg badha rahal (Pic: Gayatri singh) तोरा नै बुझल छौ कमरो बौ बराती गेल रहै ओ त ओकरे...