आइ फेरो भेल मुलाकात
सचके झुठ सं
छावंके धुपसं
देखते मुह
घुमालेलैन ओ
झाइप लेलैन अपन अचराके छोर सं
मुह छल झापल आइख उघारे
नैन छल भरल नोरसं
तडैप गेलौह हम
मुदा मन कहलक
नै कनु आहा
ओ नेह लगौलैन केकरो औरसं ...
Posted by dinesh rasya
Posted on 9:35 AM
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कि कहि विधिके लिखनाएकर लेखजोख नइहमरे घर छेल बनल भोजहमरे पत्ता भात नइ
जिव छल हमरेहमरे छल प्राणहमरे चावल हमरे धानदुरामे राखल छल माछ, पान मखानमुदा हमरे भेल खोज नैहमरे घर छेल बनल भोजहमरे पत्ता भात नइ
समाजक रीत देख मन छछनाइ येदेख मुरुख सन व्यवहार बुइध हेराइयेकहैये...
Posted by dinesh rasya
Posted on 7:24 AM
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रङ्ग देखलौ,
रुप देख्लौ
जाडमे निक धुप देखलौ
देस देखलौ
बिदेस देखलौ
केहन केहन भाषा भेष देखलौ
इष्र्या देखलौ
द्धेष देखलौ
झुठक प्रवेश देखलौ
साथ देखलौ
घात देखलौ
भाइ भाइमे प्रहार देखलौ
रौदी देखलौ
दहार देखलौ
आइगलगीके संसार देखलौ
भू–कम्प देखलौ
पिडित जनता देखलौ
पल भैरमे...